जीता सिंह नेगी/रिकांगपिओ
गेशे थुबतन ज्ञालछन नेगी रिनपोछे इन दिनों रूस में बौद्व अनुयाईयों को बोन धर्म का ज्ञान प्रदान कर रहे है। रूस के सेंट पीटरसबर्ग में अनुयाईयों को बोन धर्म के र्जोगस छेन से सम्बंधित शिक्षा दे रहे हैं। गेशे थुबतन ज्ञालछन नेगी रिनपोछे जी ने बताया कि बौद्व धर्म में र्जोगस छेन हमे विशेष रूप से अंतर मुखी होकर अपने विशुद्व चित्त अथवा निर्मल चित्त को पहचानने की विधि सिखाती है। चित्त में आने वाले अगन्तुक विकारों को समझाने में सहायता करता है।
र्जोगस छेन के अनुसार हमे सुख एंव शान्ति की प्राप्ति मात्र अपने चित्त के स्वभाव को पहचाने पर ही सम्भव है न कि बहाय मुखी हो कर बाहरी वस्तुओं के पीछे दौडना एंव उन पर निर्भर होने से। अपितु हमे अंतरमुखी होकर अपने जीवन यापन करने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे कि सबको सुख एंव शान्ति की प्राप्ति हो सकें। यही र्जोगस छेन का मूल शिक्षा है। दूसरे अर्थो में हम यह कह सकते है कि र्जोगस छेन हमें स्वमं से जुडने की शिक्षा प्रदान करती है।
गौर रहे कि गेशे थुबतन ज्ञालछन नेगी रिनपोछे जी विगत कई वर्षो से रूस, यूरोप, इंगलैंड, अमेरिका आदि कई देशों में बौध धर्म के अनुयायियों के निमंत्रण पर इन देशों में उन के अनुयायियों को बौध धर्म का ज्ञान प्रदान कर रहे है। नेगी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा किन्नौर जिला के लिप्पा गांव से प्राप्त की है। जिस के बाद उन्होने सोलन जिला के धोंलजी स्थित मोनस्ट्री से गेशे की उपाधिक प्राप्त की। वे पहले भारतीय है जिन्होने बोन धर्म से शिक्षा प्राप्त कर गेशे की सर्वाेच्य उपाधि प्राप्त किया है।
नेगी ने भारत वर्ष के देहरादून में लिंशु इंस्टिटयूट की भी स्थापना की है जहां आज देश-विदेश से कई बौध अनुयाई ध्यान साधना एंव धार्मिक अध्ययन के लिए आते है। गेशे जी आज पूरे विश्व में फुलफिलिंग ज्वेल ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्व है।
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