एमबीएम न्यूज़ /नाहन
सिरमौर के हाटी कबीले को जनजातीय दर्जा देने को लेकर मंत्रालय ने सूबे के मुख्य सचिव को फिर सर्वे करवाने को कहा है। दोबारा सर्वे करवाने की कवायद पर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। ट्रांसगिरी क्षेत्र के लोगों को अब यह लगने लगा है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर फिर शगुफा छोड़ दिया गया है। दरअसल केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने 24 अक्टूबर को प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र जारी कर नए सिरे से सर्वे करवाने को कहा है।
इस पत्र की प्रतिलिपि सोशल मीडिया में भी वायरल की जा रही है। इसमें सरकार की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने का मामला कई बार संज्ञान में आया है। पत्र में कहा गया है कि हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री की जनजातीय मंत्री से बैठक हुई थी। इसमें पाया गया कि मामले को लेकर भेजी गई रिपोर्ट अधूरी है। लिहाजा इस मामले पर पुनर्विचार के तहत दोबारा सर्वे होना चाहिए। मुख्य सचिव से दोबारा रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है। यह भी कहा गया कि केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय के रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया दिसंबर में इस मामले पर दोबारा हिमाचल आएंगे।
रोचक बात यह है कि ट्रांसगिरी को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने का मामला उस तरह से हो गया है जैसे अदालत की तारीख पर तारीख होती है। उसी तरह से सर्वे पर सर्वे हो रहा है। उत्तराखंड के जौनसार बाबर को 1967 में ही जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिल गया था। हालांकि तब से ही ट्रांसगिरी में भी मांग रही है लेकिन 1978 से एसटी के दर्जे की मांग ने जोर पकड़ लिया। सिवाय राजनीतिक रोटियां सेकने के, राजनीतिज्ञों ने कुछ नहीं किया है। लोकसभा चुनाव के दौरान मौजूदा गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नाहन के चौगान मैदान में सत्ता में आते ही ट्रांसगिरी को जनजातीय दर्जा देने की जोरदार वकालत की थी, लेकिन अब अगला लोकसभा चुनाव आ चुका है। मगर मसला सर्वे पर सर्वे पर अटका हुआ है।
1986 में केंद्र सरकार ने प्रदेश को हाटी जनजातीय की रिपोर्ट पेश करने को कहा था। रिपोर्ट भेजी भी गई। 1990 में भी प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया। मौजूदा सांसद वीरेंद्र कश्यप ने हालांकि इस मामले को गंभीरता से उठाने की कोशिश की है,लेकिन इस मसले के साथ-साथ अफीम की खेती को लेकर भी उनकी किरकिरी होती रही है। 18 मार्च 2016 को सिरमौर के विधायको ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। साथ ही रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने को कहा था।
कुछ माह पहले सांसद वीरेंद्र कश्यप हाटी समुदाय के प्रतिनिधिमंडल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने पहुंचे थे। इसके अलावा कई केंद्रीय मंत्रियों से भी कश्यप ने प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात करवाई, लेकिन नतीजा सिफर ही है। ताजे सर्वे की बात से ऐसा लग रहा है कि भाजपा फिर लोकसभा चुनाव में वोट की राजनीति कर सकती है।
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