दीक्षा कश्यप/नाहन
नन्हें हाथ बचपन में पेंसिल से कागज पर आकृति बना देते थे। धीरे-धीरे पेंटिंग का गॉड गिफ्ट एक बच्ची का जुनून बन गया। अब बेटी की उम्र 22 साल हो चुकी है। साथ ही कला का हुनर इस कद्र बेमिसाल हो चुका है, जिसे देखकर हर कोई दंग हो जाए। जी हां, शंभूवाला की रहने वाली वैशाली कश्यप को कुदरत ने एक ऐसा हुनर बख्शा है, जिसे खुद वैशाली ने उस वक्त पहचान लिया था, जब पांचवी कक्षा में पढ़ रही थी।
वैशाली ने अपने हुनर को खुद तराशा है। खुद अपनी गुरु है। अपने घर की दिवारों पर ऐसी पेंटिंग उकेरी है, जिसे देखने वाला हैरान रह जाता है। हाथों की जादूगरी का ऐसा कमाल है, जिसमें पेंट ब्रश व रंग उसकी उंगलियों के इशारे पर चलकर एक ऐसी आकृति बना डालते हैं, जिसकी खूबसूरती को देखकर खुद वैशाली भी आश्चर्य चकित हो जाती है। वॉल, ऑयल, इंक वॉश, कलर, ग्लास पेंटिंग के अलावा वेस्ट क्राफट में माहिर है। एक सवाल के जवाब में वैशाली ने कहा कि ब्रश व रंग इत्यादि खरीदने का कोई ज्यादा खर्चा नहीं है। केवल एकाग्रता व घंटों की मेहनत बेशकीमती होती है।
वैशाली का एक रूम उसकी बनाई पेंटिग्स से अटा हुआ है, जिसे देखने वाला हर शख्स कुछ पलों के लिए प्रकृति की खूबसूरत कला के समुद्र में खो जाता है। मौजूदा समय में वैशाली एक पेशेवर चित्रकार की तरह पेंटिंग करती है। मन में स्पेशल बच्चों को पेंटिंग के गुर सिखाने की इच्छा पाले हुए है, इसके लिए वो निशुल्क ही कोचिंग देने को भी तैयार है। वैशाली का कहना है कि ऐसा करने से आंतरिक शांति मिलना तय है। वैटर्नरी विभाग में कार्यरत पिता निर्मल सिंह कश्यप बेटी के हुनर पर गर्व महसूस करते हैं। गृहणी मां भी बेटी के इस जुनून को सालों से देखती आ रही है।
कुल मिलाकर प्रतिभाशाली वैशाली ने यह साबित कर दिखाया है कि होनहार बीरवान के होत चिकने पात। 11 सितंबर 1995 को जन्मी वैशाली के हुनर कोे बारीकी से आकलन करने के बाद एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने वैशाली की चित्रकारी से जुड़ी पहली प्रदर्शनी को अपने स्तर पर आयोजित करवाने का फैसला लिया है।