वी कुमार /मंडी
उस वक्त सीएम जयराम ठाकुर की आंखें छलक आई जब उन्हें कॉलेज का वो गुजरा हुआ जमाना याद आ गया जो शायद अब लौटकर फिर नहीं आ सकता। सीएम बनने के बाद जयराम ठाकुर पहली बार वल्लभ कॉलेज मंडी में पहुंचे। मौका था कालेज के प्लेटिनम जुबली समारोह का। बता दें कि जयराम ठाकुर खुद इसी कालेज में पढ़े हैं और यहीं से उनकी छात्र राजनीति की शुरूआत हुई थी। इसलिए जब जयराम ठाकुर कालेज समारोह में बोलने लगे तो उनका गला भर आया।
जयराम ठाकुर ने कहा कि आज उनका बोलने का मन नहीं था, सिर्फ सुनने का था, लेकिन उन्हें बोलने जैसे मुश्किल काम को करना पड़ रहा है। जयराम ठाकुर ने बताया कि दसवीं के बाद उन्हें दो वर्षों तक परिवार वालों ने कॉलेज नहीं भेजा, लेकिन बाद में जैसे तैसे उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया। कॉलेज में पहला चुनाव लड़ा और उम्र कम होने के कारण हार गए। फिर भी उन्होंने अपनी हार पर सहयोगियों को टी पार्टी दी। उन्होंने कहा कि वल्लभ कॉलेज से पढ़कर निकले स्टूडेंट कई उच्च पदों पर पहुंचे, लेकिन एक कमी थी जिसे उन्होंने सीएम बनकर पूरा कर दिया।
उन्होंने कहा कि आज उनका जीवन टुकड़ों में बंटा हुआ है क्योंकि जिम्मेवारियां ज्यादा हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि कॉलेज का दौर सबसे अनमोल दौर होता है और यह दौर फिर कभी लौटकर नहीं आ सकता। उन्होंने कालेज परिसर में मौजूद पीपल के पेड़ का भी जिक्र किया और कहा कि यह पेड़ कई बातों का गवाह है। उन्होंने पेड़ की दीर्घायु की कामना भी की।
जयराम ठाकुर ने कॉलेज के पास मामू की कैंटीन का भी जिक्र किया और बताया कि भूख लगने पर वह यहां ब्रेड समोसा खाकर अपनी भूख मिटाते थे और उसका आनंद कुछ और ही होता था। वहीं दोस्तों के साथ गलगल का मुरब्बा खाना भी उन्हें खूब याद आता है। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एबीवीपी की तरफ से उन्हें नए स्टूडेंटस के दाखिले की जिम्मेवारी दी गई। उन्होंने सभी स्टूडेंटस से फीस ली और शाम 5 बजे के बाद उसे जमा करवाने कलर्क के पास गए। सभी की रसीदें कटवा दी, लेकिन जब जेब में हाथ डाला तो पैसे गुम हो चुके थे। ऐसे में उन्होंने दोस्तों से पांच सौ रूपए उधार लिए और उन्हें चुकाने में कई महीने लगे, क्योंकि उस दौर में 500 रूपए काफी बड़ी रकम मानी जाती थी।
जयराम ठाकुर के एक मित्र ने समारोह के दौरान खुलासा किया कि छात्रसंघ चुनावों के दौरान जयराम ठाकुर को लड़कियों के वोट ज्यादा मिलते थे। इस पर जयराम ठाकुर ने मजाकिया अंदाज में जबाव दिया कि वो काफी शरीफ थे और इसे सभी जानते हैं। सीएम की इन बातों से पूरा पंडाल ठहाकों से गूंज उठा। जयराम ठाकुर ने एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि वे कॉलेज दिनों में व्यक्ति विशेष के नाम तंबोला खेल में इस्तेमाल होने वाली स्टेज के नाम पर रखते थे। किसी को हाई लाईन, बॉटम लाईन, मिडल लाईन कहते थे, लेकिन यह सब मजाक होता था जिसमें कभी किसी भी भावना को उन्होंने ठेस नहीं पहुंचाई।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह सारी बातें वह एक मुख्यमंत्री के नाते नहीं बल्कि कालेज के पुराने छात्र के नाते कह रहे हैं क्योंकि कालेज के साथ उनके जीवन की अमिट यादें जुड़ी हुई हैं।
समारोह के दौरान एक पल नाटी का भी आया। कालेज में पढ़ रहे सराज घाटी के स्टूडेंटस ने नाटी डाली तो सीएम जयराम ठाकुर भी इसमें शामिल हुए। उन्होंने काफी देर तक नाटी डाली। इसमें उनकी धर्मपत्नी डा. साधना ठाकुर, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज और सांसद राम स्वरूप शर्मा सहित अन्य विधायक भी शामिल हुए।
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