कुल्लू (एमबीएम न्यूज़) : अंतरराष्ट्रीय सहकारिता एलाइंस का सेमिनार इस वर्ष तुर्की के अनातला में होने जा रहा है। यह सेमिनार 10 से 13 नवंबर तक आयोजित होगा। सहकारिता में कुल्लू शॉल ने विश्व ख्याति का लबादा ओढ़ा है इसलिए सेमिनार में कुल्लू शॉल भी छाई रहेगी। यह खुलासा अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर हुआ। शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस कुल्लू के सहकार भवन में मनाया गया। इस दिवस की अध्यक्षता जहां पूर्व मंत्री एवं सहकारी संघ के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ठाकुर ने की वहीं प्रेस क्लब कुल्लू के प्रधान धनेश गौतम मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके अलावा प्रेस क्लब के अन्य सदस्य विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर विश्व में हिमाचल सहकारिता का क्या योगदान है इस पर विस्तृत चर्चा की गई।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में सत्य प्रकाश ठाकुर ने कहा कि पूरे विश्व में 250 मिलियन लोग सहकारिता से रोजगार कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की यह बैठक हर दो वर्ष बाद होती है और इससे पहले यह सेमिनार साउथ अफ्रीका में हुआ है जबकि इस बार तुर्की के अनातला में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सहकारिता का पूरे विश्व में योगदान है इसलिए इस सेमिनार पर पूरे प्रदेश सहित विश्व की नजर रहती है। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार से पूरे विश्व के सहकारिता आंदोलन को बल मिलता है और हमारा एक ही संविधान तथा सहकारिता पूरे विश्व को भाईचारे से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि कुल्लू शॉल ने आज पूरे विश्व में सहकारिता के चलते नाम कमाया है और आज कुल्लू शॉल किसी पहचान की मोहताज नहीं है इसलिए पूरे विश्व के सहकारिता आंदोलन में कुल्लू शॉल का नाम हमेशा आता है और कुल्लू शॉल के कारण ही पूरे विश्व में हिमाचल प्रदेश को सहकारिता आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
इस अवसर पर मुख्यातिथि धनेश गौतम ने कहा कि आज सहकारिता आंदोलन के चलते कुल्लू ने हिमाचल का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है। उन्होंने कहा कि विश्वभर के 25 करोड़ लोग आज सहकारिता पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन के चलते ही आज कुल्लू ने पूरे विश्व में नाम कमाया है। कुल्लू की शॉल-टोपी जहां पूरे विश्व में हिमाचल की पहचान बन गई है वहीं, अन्य कई सोसायटियों ने भी नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि भुट्टिको सहकारी सभा की कुल्लू शॉल आज पूरे विश्व में बै्रंडिड नाम है और भुट्टिको ने कुल्लू शॉल के लिए कई नए डिजाइन दिए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार व नाबार्ड को इस दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए और एमओयू साइन करके प्रोफेसर वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करनी चाहिए ताकि हिमाचल प्रदेश के सहकारी आंदोलन को पंख लग सकें और जो सोसायटियां डूबने की कगार पर हैं उन्हें भी लाभ पहुंच सके।