एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार ने जाने माने विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता एवं उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव को राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड का विशेषज्ञ सदस्य मनोनीत किया है। विकलांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अंतर्गत गठित इस बोर्ड के अध्यक्ष प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री हैं। विशेषज्ञ सदस्य का कहना है कि अब उनकी पहली प्राथमिकता नई राज्य विकलांगता नीति बनाने के प्रयास करना है।
उमंग फाउंडेशन के ट्रस्टी सुरेंदर कुमार ने बताया कि हाल ही में भारतीय चुनाव आयोग में बतौर विकलांगता विशेषज्ञ हिमाचल का प्रतिनिधित्व कर चुके प्रो.अजय श्रीवास्तव तीन दशक से भी अधिक समय से विकलांगजनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। वे पूर्व में भारत सरकार के योजना आयोग में विकलांगता पर विशेष कार्यदल एवं भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) की ज़ोनल कमेटी के सदस्य रहने के अलावा विकलांगता पर हिमाचल प्रदेश राज्य कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य और राज्य मेन्टल हेल्प अथॉरिटी के सदस्य भी रह चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पत्रकारिता पढ़ाने के साथ ही वे नोडल ऑफिसर(विकलांगता मामले) का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल रहे हैं। वे राज्य चुनाव विभाग द्वारा गठित राज्य निर्वाचन साक्षरता कमेटी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था – एग्जीक्यूटिव कमेटी के भी सदस्य हैं।
सुरेंदर कुमार ने कहा कि प्रो. अजय श्रीवास्तव ने राज्य में दृष्टिबाधित, मूकबधिर, शारीरिक विकलांग, कुष्ठ रोगी, सड़कों पर घूमने वाले वाले बेसहारा मनोरोगी लोगों के अलावा नारी सेवा सदन, वृद्धाश्रम एवं अनाथाश्रम में रहने वालों के लिए भी लंबा संघर्ष किया, हाईकोर्ट में अनेक जनहित याचिकाएं दायर कीं और इन वर्गों को न्याय दिलाया।
उनकी जनहित याचिका याचिका का नतीजा है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समेत राज्य सरकार के सभी विश्वविद्यालयों और चार आवासीय विद्यालयों मेँ विकलांग विद्यार्थियों को शिक्षा निशुल्क मिल रही है। उनकी छात्रवृत्ति भी हाईकोर्ट ने पांच गुना बढ़ा दी थी।यही नहीं, हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर मशोबरा स्थित नारी सेवा सदन एवं बसंतपुर के वृद्धाश्रम में मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित कराया। उनके प्रयासों से ही पिछ्ली राज्य विकलांगता नीति 2012 में बनाई गई थी जो अब पुरानी हो चुकी है।
प्रो. अजय श्रीवास्तव का कहना है कि राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य के तौर पर उनकी पहली प्राथमिकता हिमाचल प्रदेश की नई राज्य विकलांगता नीति बनवाने के प्रयास करना है
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