एमबीएम न्यूज/नाहन
विकास खंड में बर्मापापड़ी स्कूल परिसर में मरे चमगादड़ों के ढेर (डेढ़ दर्जन)मिलने की घटना में प्रशासन अंतिम नतीजे पर पहुंच चुका है। बेशक ही अब तक चमगादड़ों के खून के नमूने पूणे व भोपाल की प्रयोगशालाओं में नहीं पहुंचे हैं, लेकिन अपने स्तर पर प्रशासन ने यह ऐलान कर दिया है कि चमगादड़ों में किसी भी तरह का निपा वायरस नहीं था। इससे कोई भी संक्रमण फैलने की आशंका नहीं है। यहां तक की सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में यह भी साफ कर दिया गया है कि किसी भी तरह का अलर्ट जारी नहीं किया गया है।
डीसी ललित जैन का कहना है कि प्रशासन द्वारा किसी भी तरह का अलर्ट जारी नहीं किया गया है। डीसी का कहना है कि स्कूल के नीचे 8 चमगादड़ मृत अवस्था में पाए गए थे। अब तक प्रशासन यह साफ नहीं कर पाया है कि चमगादड़ों के रक्त के नमूनों को किस अहतियात के तौर पर प्रयोगशाला में भेजा गया है, क्योंकि नमूनों के आइसपैक को हर दो घंटे में बदलने की हिदायत वैटर्नरी विभाग ने वन विभाग को दी थी। लिहाजा डीसी के मुताबिक वन विभाग के अधिकारी स्वयं ही नमूनों को लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए जा रहे हैं।
एक तरफ जहां प्रशासन यह कह रहा है कि संक्रमण फैलने की कोई आशंका नहीं है, वहीं दूसरी सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में यह कहा जा रहा है कि मृत चमगादड़ों को दफना दिया गया है, ताकि कोई संक्रमण न फैले। कुल मिलाकर प्रशासन भी इस मामले में पूरी तरह से कन्फयूज ही नजर आ रहा है।
उधर अगर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बुजुर्गों की मानें तो कभी भी चमगादड़ों को इस तरह से मरते हुए नहीं देखा गया है। यहां तक की एक चमगादड़ भी मरा हुआ नजर नहीं आता। लिहाजा चमगादड़ों के एक साथ मरने की घटना के सही कारणों का पता लगना जरूरी है। डीसी ने यह भी कहा कि बर्मापापड़ी में चमगादड़ों के मरने के भ्रामक प्रचार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।
उधर डीसी ललित जैन ने फोन रिसीव नहीं किया, लिहाजा प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।