मोक्ष शर्मा/ नाहन
नाहन मेडिकल कॉलेज बनने के बाद गायनी के मरीजों की परेशानी लगातार बढ़ रही हैं। मात्र दो डॉक्टर के सहारे जच्चा-बच्चा यहां वहां भटक रहे हैं। यहां तक की गायनी ओपीडी में गर्भवती महिलाओं को फर्श पर बैठ कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि बढ़ती भीड़ को देखकर कॉलेज प्रशासन ने सोमवार से टोकन सिस्टम आरम्भ किया है, मगर वो भी कारगर साबित नही हो रहा है। सोमवार को पहले ही दिन इसका उदाहरण देखने को मिला।
बेचड के बाग से आई नौ माह की गर्भवती महिला को एमर्जेन्सी टोकन मिलने के बावजूद घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। महिला के पति बाबू राम कहना है की हम सुबह लगभग 9:30 से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन 1 बजे तक भी उनका चेकअप नही हो पाया। ये ही स्थिति शिलाई के दुगाना से आई महिला तारा देवी की थी। पिछले चार माह से लगातार गायनी डिपार्टमेंट के चक्कर काट रही हैं फिर भी अभी तक उन्हें पूरा ट्रीटमेंट नही मिल पाया है।
तारा देवी का कहना था कि हर बार उन्हें नाहन रुक कर अपना नंबर आने का इंतज़ार करना पड़ता हैं। कईं बार दो दिन तक भी उनको अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है, उस वजह से उन्हें आर्थिक चपत भी लगती है। इसी प्रकार से टोन्डा झाकल, हरिपुरधार, शिलाई जैसे दुर्गम क्षेत्रों से आई महिलाएं जब चेकअप के लिए मेडिकल कॉलेज आती हैं तो उन्हें चेकअप के लिए 2-3 दिन का इंतजार करना पड़ता है।
संगड़ाह से आई कमलेश व रेणुका से आई अंजू बाला सुबह से 1:30 बजे तक भी अपनी बारी ना आने के कारण फर्श पर बैठ कर इंतजार कर रही हैं। यही नही बीच में यदि प्रसव पीड़ा से कोई एमर्जेन्सी केस आ जाता है तो गायनी ओपीडी में केवल एक ही डॉक्टर मरीजों के लिए रह जाता है। मेडिकल कॉलेज के एमएस डॉ. एके पराशर ने बताया कि गायनी विभाग ने मात्र दो डॉक्टर है। कई बार एक डॉक्टर को एमर्जेन्सी के चलते ओटी में जाना पड़ता है। इससे मरीजों के चेकअप में और ज्यादा समय लगता है। प्रदेश सरक़ार को करवा दिया गया है।