एमबीएम न्यूज़ / शिमला
जयराम सरकार ने सरकारी स्कूलो बैगलैस करने की तरफ कदम बढ़ाये है। सचिव शिक्षा की ओर से आदेश जारी हुए हैं, जिसमें सूबे के उपनिदेशकों को निर्देश दिए गए हैं कि हर महीने के चौथे शनिवार को बच्चों को बिना बैग लिए स्कूल आने की व्यवस्था की जाए। इस दिन पढ़ाई नहीं होगी। सुबह की प्रार्थना सभा करवाई जाएगी, पेंटिंग कॉम्पीटिशन होगा, दोपहर का खाना होगा, खेलकूद की प्रतियोगिताएं होगी।
इन सब गतिविधियों के साथ स्कूल प्रबंधक कमेटी के सदस्य को भी शनिवार के दिन स्कूलों में मौजूद रहना होगा। बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने इस बारे में घोषणा की थी। उच्च व प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत अलग-अलग नोटिफिकेशन भी जारी की है। सनद रहे कि ट्राइबल ज़िला किन्नौर के एक प्राईमरी स्कूल ने बैगलैस व्यवस्था को बखूबी लागू किया हुआ है।
आदेश के अनुसार सभी उप निदेशक इन आदेशों को अपने नियंत्रण में जितने भी स्कूल हैं, उनको जारी करें और यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू किए जाए। दूसरी तरफ अब अध्यापक भी बंक मारने के लिए इस फैसले का स्वागत करेंगे। इसके स्वागत में सरकार की तारीफों के कसीदे पढ़ेंगे। देखते हैं क्या होगा। घटते हुए शिक्षा स्तर में सरकार का यह कदम कितना कामयाब होता है इसका पता आने वाले समय में ही लगेगा।
प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी है जिसके लिए सरकार स्कूलों का युक्तिकरण कर रही है। 2 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों को मर्ज करके सरकार अध्यापकों की कमी को पूरा करने में लगी है। सरकारी स्कूलों में तमाम सुविधाएं देने के बाद भी शिक्षा के स्तर में कोई बदलाव नहीं आया, यदि आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में पिछले 5 सालों में करोड़ों रुपए खर्च किए लेकिन इससे कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिला है। प्राईमरी स्कूलों में अध्यापकों से अतिरिक्त कार्य लिया जाता है। मिड-डे मील योजना व महात्मा गांधी वर्दी योजना लेखा-जोखा अध्यापकों को देना होता है।
कुल मिलाकर देखना है कि शिक्षा महकमे की यह मुहिम क्या रंग लाती है। एलीमैंट्री शिक्षा विभाग के निदेशक मनमोहन शर्मा ने कहा कि व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। इस समय सूबे में 12 से 13 हजार प्राईमरी स्कूल है इसके इलावा एलीमैंट्री शिक्षा के तहत लगभग 2500 मिडल स्कूल है। जबकि हाई व वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों की संख्या अलग हैं।