एमबीएम न्यूज़ / शिमला
नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने कहा है कि नूरपुर में हुई स्कूल बस दुर्घटना ने सबको झकझोड़ कर रख दिया है तथा इस हादसे से पूरा प्रदेश गमगीन है। उन्होंने उस खबर को तथ्यों से परे और झूठा करार दिया, जिसमे सीएम के इंतज़ार में शवों को अस्पताल में रोककर रखे जाने तथा रात को परिजनों को सौंपे गए शवों को वापिस बुला लेने की बात कही गई है।
शिमला में आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में राकेश पठानिया ने कहा कि अगर कोई यह साबित कर दे कि एक भी शव रात को परिजनों को सौंप दिया गया था और बाद में इन्हें घरों से वापिस बुला लिया गया, तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। पठानिया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना करते हुए दुर्घटना के शिकार हुए बच्चों के शव पोस्टमार्टम के उपरांत परिजनों को सौंपे गए थे और अस्पताल में मुख्यमंत्री के पहुंचने का इंतज़ार नहीं किया गया था।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हादसे के अगले दिन की सुबह नूरपुर अस्पताल के बाहर हजारों की तादाद में भीड़ थी और अगर एक भी शव को पहले सौंप दिया जाता, तो लोगों का गुस्सा भड़क सकता था। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के सहयोग से जिला प्रशासन व पुलिस राहत व बचाव कार्यों में जी-जान से लगा रहा। पठानिया ने एनडीआरएफ की कार्यशैली पर यह कहते हुए सवाल उठाए कि हादसे के दौरान जब जिला उपायुक्त ने एनडीआरएफ से मदद के लिये सम्पर्क साधा, तो एनडीआरएफ का मूर्खता ओरण जवाब था कि तेल कौन डलवाएगा।
पठानिया ने आगे कहा कि हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच में दुर्घटना की वहज साफ होगी। उनका कहना रहा कि जिस बस चालक की दुर्घटना में मौत हुई है, वह एक्स सर्विसमेन था और बीते 15 सालों से उसे वह व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। चालक नशे का आदि भी नहीं था और सम्भलकर वाहन चलाने के लिये जाना जाता था। घटनास्थल पर सड़क काफी खुली थी और वहां पर वाहन के खाई में गिरने की दूर दूर तक कोई सम्भावना नहीं थी। ऐसे में इस बात की आशंका है कि उस वक्त चालक को हार्ट अटैक आया होगा।
पठानिया ने कहा कि यह हादसा ताउम्र के जख्म देने वाला है। काल का ग्रास बने सात बच्चों का स्कूल में पहला दिन था। इस हादसे में 11 बच्चे जख्मी हुए हैं और इनमें एक वेंटिलेटर पर है, जबकि अन्य की हालत खतरे से बाहर है।