एमबीएम न्यूज / धर्मशाला
मंगलवार को स्कूल बस हादसे में मारे गए 23 बच्चों के परिजन करीब तीन घंटे तक शवों के मिलने का इंतजार करते रहे। वजह थी, सीएम का इंतजार। सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बच्चों को श्रद्धांजलि देना चाहते थे। दैनिक भास्कर ने बुधवार के अंक में इस मामले का जबरदस्त खुलासा किया है। यह अलग बात है कि जब एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने नूरपुर के एसडीएम से सवाल पूछा तो तमाम आरोपों से इंकार कर गए।
समाचारपत्र के खुलासे के मुताबिक कुछ परिवारों को रात के वक्त ही शव सौंप दिए गए थे, लेकिन उन्हें भी वापस मंगवा लिया गया। राजनीति चमकाने का खेल पोस्टमार्टम से पहले ही शुरू हो गया था। रोते-बिलखते परिवार शवों की मांग कर रहे थे, लेकिन पंडाल-माइक-स्पीकर का इंतजाम किया गया। भास्कर के मुताबिक जब सिविल अस्पताल का रात तीन बजे दौरा किया गया तो जिंदा बच्चों के उपचार के लिए दो नर्सें ही मौजूद थी।
हिन्दू रीति-रिवाजों के मुताबिक सूर्य अस्त के बाद पोस्टमार्टम व अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। लिहाजा यह सही था कि सुबह ही पोस्टमार्टम होना था। बताया यह जा रहा है कि सुबह 7:36 बजे तमाम बच्चों का पोस्टमार्टम करवा दिया गया, लेकिन शवों को परिजनों को सीएम के पहुंचने के बाद सौंपा गया। सीएम जयराम ठाकुर के साथ केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा सुबह 10:24 बजे नूरपुर अस्पताल पहुंचे। मंडी सर्किट हाऊस में सीएम ने नूरपुर पहुंचने से पहले कई दिग्गजों से मुलाकात कर समय को भी गंवाया।
नूरपुर में सुबह 6 बजे से ही बच्चों के परिवार अस्पताल में जुट गए थे। हल्की बूंदाबांदी के कारण परिजन चाहते थे कि शव उन्हें जल्दी सौंप दिए जाएं, लेकिन उस समय कोई भी लोकल प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं था, क्योंकि सबका ध्यान सीएम के आने पर था। हालांकि समाचारपत्र के खुलासे के बाद राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में हडकंप मचा हुआ है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को भी करीब दो मिनट का एक वीडियो मिला है। इसमें नजर आ रहा है कि शवों को ला रहे वाहनों को कतारबद्ध किया गया था, जिस जगह पर सीएम व केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा खड़े थे, हर वाहन को वहां रोका जा रहा था। इससे काफी हद तक यह संकेत मिले हैं कि प्रशासनिक अमले ने सीएम के लिए शवों को श्रद्धांजलि देने को लेकर तैयारी की थी। अगर एक वाहन को रोकने के लिए दो से तीन मिनट का वक्त भी लगा तो 23 बच्चों को श्रद्धांजलि देने में सीएम को करीब एक घंटा लगा।
उधर नूरपुर के एसडीएम सादिक हुसैन का कहना है कि तीन घंटे देरी के आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम सुबह 7 बजे शुरू किए गए थे। 10 बजे तक पोस्टमार्टम चल रहे थे। बहरहाल अगर प्रशासन की दलील को सही मान भी लिया जाए तो भी सवाल यह भी रह जाता है कि सूर्याेदय होने के साथ ही चिकित्सकों की टीम ने तुरंत पोस्टमार्टम कर शवों को परिजनों को क्यों नहीं सौंपा।