दीपक चौधरी / कुनिहार
आखिरकार एक नन्हीं बेटी जिंदगी की जंग हार गई। दाड़लाघाट की कशलोग पंचायत के फगवाना गांव की दीपिका ने पीजीआई में दम तोड़ दिया। दोनों किडनियां फेल हो जाने की वजह से दीपिका जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही थी। पिता खेमचंद का देहान्त पहले ही हो चुका था, लिहाजा मां अमरो देवी बेटी के उपचार के लिए दर-ब-दर की ठोकरें खा रही थी।
परिवार बेटी की अर्थी निकालने की तैयारी कर रहा है। हालांकि 16 वर्षीय दीपिका को मददगार भी मिलना शुरू हो गए थे, लेकिन समय रहते आर्थिक मदद नहीं मिली। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी दीपिका का इलाज सीएम रिलीफ फंड से करवाने का ऐलान किया था। शुरूआती चरण में दीपिका का परिवार महंगे इलाज के लिए समर्थ नहीं था। मां अपनी बेटी को किडनी देने को तैयार थी, लेकिन उस वक्त पैसे नहीं थे।
आज की तारीख में दीपिका की मां व मामा के ज्वाइंट खाते में मददगारों ने लाखों रुपए की राशि भेजी है, लेकिन अब यह राशि भी बेकार हो गई। परिवार से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर समय पर इम्दाद मिलती तो शायद 16 साल की दीपिका सांसें ले रही होती। अफसोसजनक बात यह है कि हिमाचल जैसे प्रगतिशील राज्य में आज भी गरीब परिवारों के बच्चे इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। सनद रहे कि चंद सप्ताह पहले मंडी की रेणुका ने भी इलाज के अभाव में दुनिया को अलविदा कह दिया था।
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