नाहन (शैलेंद्र कालरा): 47 साल की उम्र में बेहद गरीब परिवार में जन्मा बेटा आज 150 करोड़ का टर्नओवर वाली कंपनी का मालिक है। देश भर में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन इस वक्त पूरे परवान पर है। मगर धारटीधार के मंधारा गांव में जन्मे एलडी शर्मा ने 2003 में ही आने वाले ट्रेंड को भांप लिया था। यही कारण है कि आज डिजिटल मार्किटिंग में इंडिया किंग है।
बिरला स्कूल में आठवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए शर्मा को भरोग बनेडी स्कूल जाना पड़ता था। साढ़े 12 किलोमीटर एक तरफ का सफर पैदल ही तय करना होता था। जमा एक की पढ़ाई करने के लिए पांवटा साहिब आ गए। यहां एक पैट्रोल पंप मालिक के पास भाई नौकरी करता था, लेकिन स्टाफ कमरे में छोटे भाई को रहने की अनुमति नहीं दी गई। उसके बाद बड़े भाई दिवंगत कृष्ण दत्त शर्मा ने छोटे भाई को पढ़ाने के लिए पांवटा साहिब में 1986 में एक ढाबा खोल लिया।
ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए रोजाना 45 किलोमीटर दूर सुबह साढ़े 5 बजे उठकर नाहन जाना पड़ता था। शाम तीन बजे वापस पहुंचने के बाद भाई के ढाबे में बर्तन मांजने का काम करना पड़ता था। चूंकि परिवार गुरबत का सामना कर रहा था, लिहाजा बी कॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना के बंगाल इंजीनियर्स कॉप में क्लर्क की नौकरी शुरू कर दी। सेना में अधिकारी बनना चाहते थे। तीन बार लिखित परीक्षा दी। लेकिन इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिए गए।
उस वक्त ये सोच लिया था कि शायद कुदरत ने कुछ और ही सोच रखा है। 1995 में एबीए की पढ़ाई शुरू करने के एक साल बाद नौकरी छोड़ दी। 1997 में पेप्सी इंडिया को ज्वाइन किया। दीगर है कि अब तक एलडी शर्मा दुनिया के 75 से अधिक देश घूम चुके हैं। इस बारे सवाल पूछा गया तो बोले, याद नहीं है कि दुनिया के कितने देश घूम चुका हूं।
कैसे हैं डिजिटल मार्किटिंग के इंडिया किंग…
1997 से 2003 के बीच कई कंपनियों में काम किया। 2003 में ओसवाल कंपनी में काम कर रहे थे। इसी दौरान इस कंपनी का टाईअप टाइम्स ऑफ इंडिया की ऑनलाइन मार्किटिंग वैबसाइट से हो गया। एलडी शर्मा की लीडरशिप में क्रिकेट वर्ल्ड कप 2003 में इंडियन टीम की 55 हजार टी-शर्टस मात्र 45 दिन में ऑनलाइन बेच दी गई। बस यहीं से सिरमौरी बेटे के जीवन में टर्निंग प्वाइंट आ गया।
2006 में यूके गए तो वापस लौटकर यूके की कंपनी डीजीएम इंडिया को लांच किया। एक साल बाद ही इस कंपनी को छोड़ कर शुगलू ग्रुप शुरू कर दिया, जो डिजिटल मार्किटिंग में आज बुलंदियां छू रहा है। 2008 में यूके की कंपनी ऑप्टिमाइज के साथ ज्वाइंट वेंचर भी कर लिया। कंपनी को एलडी शर्मा की काबलियत खूब भायी।
इसके बाद 2011 में शर्मा ने इस कंपनी को भी इंडिया में लांच कर दिया। आज देश की अधिकतर नामी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां इस सिरमौरी बेटे की क्लाइंट हैं। नेटवर्क विदेशों तक फैला हुआ है। 2003 से गुरुग्राम से अपने नेटवर्क को चला रहे हैं।
खास बातचीत के दौरान बोले..
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से डिजिटल मार्किटिंग में डंका बजाने वाले एलडी शर्मा बेबाक तरीके से बतियाए। कहा कि पत्नी अंशुल शर्मा का सफलता में बड़ा योगदान है। इस बात पर थोड़ा मायूस भी हुए कि पिता माता राम व मां जयवंती उनकी सफलता को देखने के लिए दुनिया में नहीं हैं। वो बड़ा भाई भी अब संसार में नहीं है, जिन्होंने ढाबा खोलकर पढ़ाई करवाई। शर्मा बताते हैं कि आने वाले वक्त को भांपना ही सबसे बड़ा पॉजीटिव प्वाइंट रहा।
यूं निभा रहे हैं सामाजिक दायित्व..
कामयाबी की बुलंदियां छू रहा सिरमौरी बेटा अपने सामाजिक दायित्व को भी बखूबी समझ रहा है। प्रदेश के सैंकड़ों युवाओं को रोजगार तो दिया ही है। साथ ही इन दिनों अपने मंधारा गांव में एक मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं, जिस पर 40 लाख रुपए व्यय कर चुके हैं। साथ ही 60 लाख खर्च किए जाने हैं। मिट्टी से जुड़े एलडी शर्मा कई सामाजिक कार्यों को करते आए हैं, लेकिन फेम से दूर ही रहना मुनासिब समझते हैं।
सनद रहे कि सिरमौरी धावक सुनील शर्मा को भी एलडी शर्मा की कंपनी ही प्रायोजित कर रही है। इसी के दम पर सुनील ब्राजील की मैराथन में हिस्सा ले पाए। साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी हिस्सा लेंगे।
ये भी है खूबी…
एडवेंचर के शौकीन एलडी शर्मा रैली ड्राईवर भी हैं। मारूति सुजुकी मोटर स्पोर्टस द्वारा आयोजित नेशनल सुपर लीग चैंपियनशिप के 8वें रैंक पर हैं। 2016 में उत्तराखंड में एसयूवी कैटेगरी की रैली जीत चुके हैं। इसके अलावा 2015 की खतरनाक रेड दी हिमालयन में सातवां रैंक हासिल किया था। 2016 में हिमाचल रैली में पहला स्थान हासिल किया था।