शिमला (एमबीएम न्यूज़): मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत वितीय वर्ष 2018-19 के बजट के पक्ष में विपक्ष का कोई विधायक बोले, यह कम ही देखा जाता है। लेकिन बुधवार को विधानसभा में बजट सत्र के दौरान ऐसा घटनाक्रम पेश आया, जब नालागढ़ के कांग्रेस विधायक लखविंद्र सिंह राणा ने बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए बजट की कई घोषणाओं की तारीफ की।
दोपहर के भोजन के उपरांत बजट पर बोलते हुए राणा ने कहा कि आईजीएमसी में किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा, विधायक निधि में बढ़ोतरी, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सामुदायिक केंद्र का निर्माण, गौसेवा आयोग का गठन, होशियार सिंह और गुडि़या हेल्पलाइन इत्यादि सरकार की घोषणाएं व कदम अच्छे हैं और इनसे लोगों को फायदा पहुंचेगा।
सदन में जब लखविंद्र राणा बजट में उक्त बातों का उल्लेख कर रहे थे, तो सतापक्ष के सदस्य मेजें थपथपाकर कांग्रेस विधायक का उत्साह बढ़ा रहे थे। जबकि विपक्ष के सदस्य खामोश थे। हालांकि बजट चर्चा में हिस्सा लेेते हुए लखविंद्र राणा ने सरकार को यह भी नसीहत दी कि वह प्रदेश में पूर्व सरकार द्वारा खोले गए संस्थानों को राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से बंद करने का फैसला न ले। इसके अलावा उन्होंने नालागढ़ के उद्योगों में हिमाचलियों को 70 फीसदी रोजगार न मिलने का भी उल्लेख किया और सरकार से इस पर ठोस कदम उठाने की मांग की।
भाजपा के सुरेश कश्यप ने बजट को विकासोन्मुख बताया और इसमें हर वर्ग का ख्याल रखा गया है, फिर भी विपक्ष को बजट का समर्थन करने में क्यूं परेशानी हो रही है ? बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि बजट में किसानों व बागवानों के लिए कई अच्छी योजनाएं हैं। किसानों के लिए बिजली दर को 1 रूपये से घटाकर 75 पैसे किया गया है। सौर उर्जा से सिंचाई का प्रावधान है। इसके अलावा जैविक खेती को बढ़ाने देने पर भी सरकार जोर दे रही है।
भाजपा के बलबीर बर्मा ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सबका साथ सबका विकास के भाव के साथ बजट पेश किया गया है। उन्होंने बजट में घोषित की गई विभिन्न नई योजनाओं की सराहनीय की। बर्मा न कहा कि बजट में गौसेवा आयोग के गठन की घोषणा काबिलेतारीफ है और इससे सड़कों पर घूमने वाली गायों को आसरा मिलेगा। उन्होंने कहा कि कुपवी क्षेत्र चौपाल हल्के का दूरदराज व पिछड़ा क्षेत्र है तथा इसमें कॉलेज खोले जाने की जरूरत है और सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने चौपाल के शिक्षण व स्वास्थ्य संस्थानों में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने का भी सरकार से आग्रह किया। बर्मा न कहा कि जयराम के बजट से प्रदेश को नई दिशा मिली है और इसमें विकास की दृष्टि से कोई भी वर्ग पीछे नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर चार बार मुख्यमंत्री बनेंगे और प्रदेश को विकास की बुलंदियों पर ले जाएंगे।
कांगेस के नंदलाल ने कहा कि बजट में कोई रोडमैप नहीं है। वितीय संसाधन जुटाने के बारे बजट में उल्लेख तक नहीं है। युवाओं व बेरोजगारों के लिए सरकार ने बजट में कोई जिक्र नहीं किया है। बजट में घोषित 28 योजनाएं व्यवहारिक नहीं हैं।
कांग्रेस के सुंदर सिह ठाकुर ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रदेश सरकार को कुल्लू जिले के रघुनाथ मंदिर अधिग्रहण का फैसला रद्द करने के प्रदेश सरकार के फैसले की अलोचना की और कहा कि सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है। उन्होंने कहा कि कुल्लू अस्पताल में बीते चार माह से एक भी गाइनिकोलोजिस्ट डॉक्टर नहीं है और इस वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से कुल्लू अस्पताल में तुरंत गाइनिकोलोजिस्ट तैनात करने की मांग की है।
भाजपा के किशोरी लाल ने कहा कि उनके हल्के में पूर्व सरकार ने भेदभाव किया है और मेरे हल्के का पैसा रामपुर में लगाया गया है। उन्होंने कहा कि उनके हल्के में स्कूलों में 250 पद रिक्त हैं और इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने आचार सहिंता से महज 10 दिन पहले उनके हलके में कई पीएचसी खोलकर लोगों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास किया है। उन्हेांने कहा कि आरएसएस दुनिया का बड़ा स्वयंसेवी संगठन है और कांग्रेस को इस पर कटाक्ष करने से बचने चाहिए।
भाजपा के जीत राम कटवाल ने कहा कि जिस दर से पूर्व सरकार ने कर्ज लिए, उतना विकास प्रदेश में नहीं हुआ है। उन्होंने कहा धूमल सरकार में प्रति व्यक्ति आय में 63.4 फीसदी की बृद्वि हुई थी जबकि पूर्व वीरभद्र सरकार में यह 44.69 फीसदी रह गई। मोदी सरकार ने 90 अनुपात 10 अनुपात से केंद्रीय योजनाओं में अनुदान दिया है, जो कि केंद्र की दुरदर्शिता व श्रेष्ठता को दर्शाती है।
कांग्रेस के पवन काजल ने कहा कि बजट में कुछ त्रुटियां रह गई हैं इसलिए मैं इसका समर्थन नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि बजट में कम हैडपंप लगाने का प्रावधान किया गया है। पूरे प्रदेश में 1200 हैडपंप लगाने का उल्लेख है, इस हिसाब से प्रत्येक हल्के में दो दर्जन हैडपंप भी नहीं लगंगे। जबकि कांगड़ा जिला सबसे अधिक हैडपंपों पर निर्भर है। उन्होंने बंदरों के लिए ठोस नीति बनाने की मांग भी की।
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