शिमला (एमबीएम न्यूज़): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पीएचडी (हिंदी) में दाखिले को लेकर एक दिव्यांग छात्रा सवीना जहां के साथ कथित भेदभाव हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से जवाब तलब किया है। छात्रा द्वारा चीफ जस्टिस को लिखे पत्र को जनहित याचिका मान कर कार्यवाहक चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति संजय करोल एवं न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय से 15 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
रोहड़ू की रहने वाली सवीना जहाँ पुत्री नज़ाकत हुसैन ने अपने पत्र में लिखा था कि विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने फोन पर मैसेज भेज कर पीएचडी में प्रवेश की काउंसलिंग 25 नवंबर को होने की सूचना दी थी। उसका कहना है कि काउंसलिंग में दिव्यांग कोटे में हस्ताक्षर वाली शीट पर अकेले उसी का नाम था। लेकिन विभाग ने कोई सूचना नोटिस बोर्ड पर नहीं दी और न ही वेबसाइट पर डाली।
इसके बाद गुपचुप तरीके से दिव्यांग कोटे में एक अन्य छात्रा को प्रवेश दे दिया गया जिसने सामान्य वर्ग में कॉउंसलिंग में हिस्सा लिया था। यह सूचना भी सार्वजनिक नहीं की गई। बाद में पूछने पर बताया गया कि काउंसलिंग हुई ही नहीं थी। उसने प्रमाण के तौर पर उन विद्यार्थियों के नाम भी पत्र में लिखे हैं जिन्होंने 25 नवम्बर, 2017 को सामान्य श्रेणी में काउंसलिंग में हिस्सा लिया था।
सवीना जहां का कहना है कि जब काउंसलिंग में वह दिव्यांग श्रेणी में हस्ताक्षर करने वाली अकेली उम्मीदवार थी तो किसी अन्य को प्रवेश कैसे दे दिया गया। उसने पत्र में लिखा है कि आमतौर पर मुस्लिम परिवारों में लड़कियों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है लेकिन वह उच्च शिक्षा के माध्यम से कोई अच्छा मुकाम हासिल करना चाहती है तो उसके साथ भेदभाव एवं अन्याय किया जा रहा है। उसने चीफ जस्टिस से न्याय की गुहार लगाई है।