नाहन (एमबीएम न्यूज): मामला संगड़ाह उपमंडल की बडग़ पंचायत से जुड़ा हुआ है। दसवीं की पढ़ाई छोडऩे के बाद लडक़ी अपनी ही जाति के 17 साल के लडक़े से शादी करने जा रही थी। समय रहते ही चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम मौके पर पहुंच गई। मायका व ससुराल पक्ष दलित होने के साथ-साथ गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें इस बात का मामूली सा भी इल्म नहीं था कि बाल विवाह कानूनी जुर्म है।
चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम में शामिल विनिता ठाकुर व राजेंद्र ठाकुर ने पहले लडक़ी की काउंसलिंग की। साथ ही पंचायत प्रधान की मौजूदगी में लडक़ी को माता-पिता को सौंपा गया। अहम बात यह है कि लडक़ी अब इस बात पर राजी हो गई है कि वह दसवीं की परीक्षा भी देगी। कुल मिलाकर एक बार फिर सवाल वही है कि आखिर क्यों बाल विवाह की बढ़ती घटनाओं को लेकर सरकार पंचायतों को चिन्हित कर जागरूकता अभियान नहीं चला पा रही है।
दरअसल कई मामलों में अज्ञानता की वजह से दलित परिवारों को पुलिस के क्रिमिनल मामलों का भी सामना करना पड़ रहा है। सनद रहे कि करीब छह महीने पहले ही नेहलीधीड़ा पंचायत के सेहात में दलित परिवारों को नहीं पता था कि शादी के लिए लडक़े व लडक़ी की उम्र क्या होनी चाहिए। लिहाजा अब अदालती मामला भुगत रहे हैं।
उधर चाइल्ड हेल्पलाइन की विनिता ठाकुर ने बडग़ मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि लडक़े व लडक़ी की काउंसलिंग के लिए बाल कल्याण समिति को लिखा जा रहा है।