शिमला (एमबीएम न्यूज) : लाहौल-स्पिति जिले के काजा उपमंडल में हैपेटाईटिस-बी व सी के संक्रमण, कारणों एवं जोखिमों का पता लगाने के लिए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला के चिकित्सकों का एक दल अध्ययन कर रहा है। दल का नेतृत्व जठरान्त्र विज्ञान (गैस्ट्रो एन्ट्रोलॉजी) विभाग के प्रमुख डा. बृज शर्मा कर रहे हैं।
डा. बृज शर्मा ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान इस क्षेत्र से हैपेटाईटिस-बी के संक्रमण के बहुत से मामले आईजीएमसी के गैस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी विभाग में उपचार के लिये आए हैं। इसके दृष्टिगत वायरल के अत्यधिक प्रसार के कारणों का पता लगाये जाने की आवश्यकता है।
परियोजना के संबंध में जानकारी देते हुए डा. बृज शर्मा ने कहा कि परियोजना का क्रियान्वयन भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से किया जा रहा है। चिकित्सकों के इस दल में सामान्य औषधि विभाग से प्रो. डा. अनमोल गुप्ता सहित कुल आठ सदस्य हैं।
डा. शर्मा ने कहा कि लाहौल-स्पिति जिले के काजा स्वास्थ्य खंड में 12 हजार की आबादी है और क्षेत्र में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 10 स्वास्थ्य उपकेंद्र कार्यरत हैं और परियोजना के अंतर्गत दल ने काजा के चिकित्सकों के सहयोग से आज से विभिन्न गतिविधियां आरंभ की गई हैं।
डॉ. बृज ने कहा कि हैपेटाइटिस लीवर से जुड़ी बीमारी है जो सामान्यत: विषाणुजनित संक्रमण के कारण होती है। हैपेटाईटिस-बी व सी आमतौर पर संक्रमित शरीर के तरल पदार्थ से संपर्क के कारण होती है। उन्होंने कहा कि संक्रमित रक्त चढ़ाने, संक्रमित चिकित्सा उपकरणों के इस्तेमाल से इस रोग के विषाणु एक से दूसरे व्यक्ति में प्रवेश करते हैं।
इसके अलावा, संक्रमित माता से शिशु को, संक्रमित परिवार के सदस्यों से और संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाने के कारण हैपेटाईटिस-बी के विषाणु एक से दूसरे में प्रवेश करते हैं।