सुंदरनगर (नितेश सैनी): मामला, बीबीएमबी की आवासीय कालोनी से जुड़ा हुआ है। 40 साल से परिवार मकान में रह रहा था। लेकिन अचानक ही बीबीएमबी का डांडा चला। देखते ही देखते मकान को मलबे में तबदील कर दिया गया। यकीन मानिए, परिवार को नोटिस तक नहीं दिया गया। सर्द रातों में परिवार कहां जाएगा, किसी को कोई चिंता नहीं। इस घर के ढह जाने के बाद जो स्वाभाविक तस्वीरें सामने आई।
एक तस्वीर में नन्हीं सी बच्ची मलबे के ढेर में स्कूल की किताबें-कापियां तलाश कर रही थी। आरोप यह भी है कि बीबीएमबी प्रबंधन ने रसूखदारों को बख्श दिया है। मामला वीरवार का है। हैरान करने वाली बात यह भी है कि परिवार के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। 11 माह का मासूम अक्षय मां की गोद में लिपट कर इस बात से अनजान था कि बेघर हो गया है। 8 साल की समृद्धि किताबें तलाश रही थी तो जमा एक में पढ़ रहे शिवम व अर्जुन के अलावा निशू, मनु व अनु सहित परिवार के 15 सदस्यों को भूखे पेट ही रात गुजारनी पड़ी।
80 साल का वृद्ध अलगु राम, 72 साल की पत्नी माया देवी व तीन विवाहित बेटों के साथ 1978 से यहां रह रहा था। बीबीएमबी के प्रबंधन ने यह तक नहीं सोचा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, जहां से यथास्थिति बहाल रखने के आदेश जारी हुए हैं। अलगु राम का कहना है कि सुबह 9 बजे ही धावा बोल दिया गया था। तहसीलदार उमेश शर्मा ने कहा कि बिना नोटिस कार्रवाई बारे जानकारी ली जा रही है। मंडी के एडीएम राजीव ने कहा था कि मामला संज्ञान में आया है।
इस संबंध में बीबीएमबी से जरूरी जानकारी जुटाई जा रही है। अधिवक्ता आर के शर्मा ने कहा, पूर्णत: गलत कार्रवाई की गई है। बिना पूर्व सूचना गरीब के आशियाने पर जेसीबी चला दी गई, जबकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही बीबीएमबी के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
गौरतलब है कि कुछ माह पहले पांवटा साहिब में भी अतिक्रमण को हटाने के नाम पर वन विभाग ने एक गरीब के आशियाने को तोड़ डाला था, जिसमें एक वृद्ध की मौत हो गई थी। इस मामले में सीटू नेता व विधायक राकेश सिंघा के नेतृत्व में पांवटा शहर में प्रदर्शन भी हुआ था।