बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा): क्षेत्र के दावीं घाटी के जुखाला में स्थित उतरी भारत के सुप्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल एवं महाऋषि मार्कंडेय की तपोभूमि मार्कंडेय में मकर सक्रांति पर्व पर लगभग दस हजार श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान कर महाऋषि मार्कंडेय मंदिर में शीश नवाया। आस्था के इस स्थल पर वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है, परन्तु बैशाखी, पिशाची तथा मकर सक्रांति पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ होती है।
माना जाता है कि मकर सक्रांति वाले दिन यहाँ पर पवित्र स्नान कर महाऋषि मार्कंडेय मंदिर में पूजा अर्चना करने से मनुष्य को पूर्वजन्म के पापो से मुक्ति मिलती है तथा इस जन्म में बहुत बड़े पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी के चलते श्रद्धालु मार्कंडेय मंदिर में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही पहुँचने शुरू हो गये थे जिनके आने जाने का सिलसिला पूरे दिन भर चलता रहा। श्रद्धालु अपने परिवार और मित्रो के साथ अपने-अपने वाहनों में यहाँ पहुँच रहे थे। जिन्होंने मार्कंडेय मंदिर में पवित्र स्नान कर महाऋषि मार्कंडेय मंदिर में पूजा अर्चना की।
इस अवसर पर बिलासपुर, सोलन, शिमला, मंडी , हमीरपुर, ऊना, इत्यादि जिला के साथ-साथ पडोसी राज्य पंजाब से भी भारी तादाद में श्रद्धालु यहाँ पर पहुंचे थे। मान्यता के अनुसार चार धाम की यात्रा के बाद भी यदि अंतिम में मार्कंडेय जी का पवित्र स्नान न किया जाए तो वह यात्रा सफल नही मानी जाती है। चार धाम की यात्रा भी तभी सफल मानी जाती है यदि अंत में मार्कंडेय जी का पवित्र सनान किया जाये।
मकर सक्रांति पर होने वाले महास्नान पर श्रद्धालुओं के लिए केवलपूरी महाराज ने मालपुडे का लंगर लगाया था, वहीँ पूर्व मंदिर प्रबंधन समिति ने स्थानीय लोगो के सहयोग से खिचड़ी और दही का लंगर लगाया हुआ था।