ऊना (एमबीएम न्यूज): हालांकि सत्ता परिवर्तन होते ही तबादलों का दौर पूरे यौवन पर है। सरकार ने मुख्य सचिव समेत पुलिस महानिदेशक तक बदल दिए, लेकिन जयराम सरकार के किसी भी तबादले पर सवाल नहीं उठे। मगर आईपीएस अधिकारी संजीव कुमार गांधी के तबादला से सरकार की आलोचना शुरू हो गई है।
सोशल मीडिया में गांधी के तबादले को लेकर आलोचनाओं की बाढ़ आ चुकी है। सवाल इस बात पर उठाया जा रहा है कि सरकार ने एक काबिल अधिकारी का तबादला एक ऐसी जगह पर कर दिया है, जहां उनकी क्षमताओं पर ताला लग गया है। कांग्रेस सरकार के समय में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ही कई मर्तबा खुले मन से संजीव गांधी की सख्ती का समर्थन कर चुके हैं। 28 जुलाई 2017 को गांधी ने ऊना में बतौर एसपी कार्यभार संभाला था। इससे पहले कांगड़ा में तैनाती के दौरान भी बड़ी सफलताएं अर्जित की थी।
तेजतर्रार अधिकारियों की फेहरिस्त में शामिल गांधी का तबादला जुन्गा बटालियन में किया गया है। चर्चा है कि अवैज्ञानिक तरीके से खनन पर गांधी की कार्रवाई क्रशर मालिकों को रास नहीं आई। एक मर्तबा क्रशर संघ व गांधी के बीच ठन गई थी। संघ ने पुलिस के खिलाफ दो दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल भी की, लेकिन गांधी अपने इरादों से नहीं डगमगाए। महज छह महीनों की उपलब्धियों का ही आंकड़ा सरकार तलब करे तो लाजमी तौर पर जयराम सरकार की आंखें खुल जाएंगी।
बहरहाल एसपी गांधी के तबादले को स्टोन क्रशर मालिकों के साथ जारी विवाद को जोडक़र देखा जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि गांधी कथित माफियाओं की आंख में किरकिरी बन गए थे।
आईपीएस की बजाय एचपीएस को तैनाती…
जयराम सरकार भी कांग्रेस के नक्शे कदम पर चल निकली है। आईपीएस कैडर के अधिकारी को हटाकर एचपीएस अधिकारी को एसपी बनाया गया है। सनद रहे कि पिछली सरकार ने कई जिलों में एचपीएस अधिकारियों को एसपी के पद पर तैनाती दी थी। कुल मिलाकर आईपीएस अधिकारी को बटालियन में भेज कर एचपीएस अधिकारी को तैनाती दे दी गई है। लाजमी तौर पर सवाल पूछे जा रहे हैं।