कांगड़ (रीना शर्मा) : मकर संक्रांति पर्व पर बैजनाथ में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग रूपी भगवान शंकर और मां पार्वती का चार क्विंटल देसी घी से श्रृंगार किया जाएगा। मंदिर न्यास ने भगवान शंकर के श्रृंगार को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार शिवलिंग पर लेप के लिए गाय के शुद्ध घी और सूखे मेवों का प्रयोग किया जाएगा। देसी घी को पिघलाकर पिंडियां बनाने का कार्य 10 जनवरी से शुरू हो जाएगा।
चार क्विंटल देसी घी को 101 बार ठंडे पानी से धोकर पेड़ों के रूप में सुरक्षित रखा जाएगा और मकर संक्रांति के दिन देर शाम को होने वाली आरती के बाद शिव लिंग पर शृंगार का कार्य शुरू होगा तथा देर रात 11 बजे तक जारी रहेगा। मकर संक्रांति पर देसी घी का लेप किए जाने को लेकर अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। मंदिर पुजारी सुरिंद्र आचार्य के अनुसार मंडी रियासत के राजा चंद्रसेन ने भगवान शिव के दर्शन किए और उनके मन में शिवलिंग को मंडी ले जाने की इच्छा पैदा हुई।
राजा चंद्रसेन ने इच्छा पूर्ति के लिए भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया और इस दौरान राजा अचेत हो गए। अचेत स्थिति में राजा को सपना आया कि ऐसा करने पर उसकी रियासत का विनाश हो जाएगा। इसका प्रायश्चित करने के लिए राजा ने हर वर्ष घी से लेप करने का वचन दिया। राजा के न रहने पर स्थानीय लोग दो-तीन किलो घी से लेप करने लगे और वर्तमान में यह चार क्विंटल तक पहुंच गया है। दूसरी मान्यता के अनुसार जालंधर दैत्य से युद्ध के दौरान समस्त देवी देवताओं को जख्म हो गए थे और उन जख्मों पर मरहम लगाने के लिए लेप किया जाता है।
चिकित्सकों की मानें तो सात दिन तक पवित्र शिवलिंग पर लेप होने और 101 बार ठंडे पानी से धोने के कारण यह घी औषधि का रूप धारण कर लेता है और चर्म रोगों के निवारण के लिए सहायक रहता है। न्यास के ट्रस्टी घनश्याम अवस्थी ने बताया कि इस बार चार क्विंटल गाय के शुद्ध घी का प्रयोग किया जाएगा। मंदिर न्यास के सहायक आयुक्त एवं एसडीएम डॉ. मुरारी ने बताया कि श्रद्धालु घी या अन्य सामान देने पर रसीद प्राप्त कर सकते हैं।