मंडी(वी कुमार): हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने नई सरकार के आने के बाद अपना कार्य शिमला स्थित कार्यालय से नव वर्ष से शुरु कर दिया है। यह जानकारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री एनआर ठाकुर ने दी। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सरकार ने प्रजातांत्रिक तरीके से चुने गए महासंघ के प्रतिनिधियों को मान्यता न देकर अपनी पसंद के कुछ स्वयंभू नेताओं को बिना चुनाव करवाए ही मान्यता दे डाली थी, जिससे प्रदेश के कर्मचारियों का पांच वर्ष तक भारी नुकसान झेलना पड़ा। ये स्वयंभू नेता न तो सरकार से संयुक्त सलाहकार समिति की बैठकें ही करवा पाए और न ही कर्मचारियों की मांगों को मनवा पाए।
केवल पांच सालों में एक संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक हुई और वह भी बेनतीजा साबित हुई। एनआर ठाकुर ने कहा कि सुरेंद्र ठाकुर की अध्यक्षता में महासंघ अपना कार्य बेहतर तरीके से चलाएगा तथा वर्षों से लटके कर्मचारियों के मुद्दों को प्रमुखता से मुख्यमंत्री के समक्ष उठाएगा। महासंघ जल्दी ही राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन करेगा जिसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बतौर मुख्यातिथि आमंत्रित किया जाएगा।
इस सम्मलेन में प्रदेश के 80 विभागीय संगठनों तथा जिला इकाईयों के पदाधिकारियों के सहयोग से एक सांझा मांग पत्र तैयार करके मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। मुख्यमंत्री से महासंघ की संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक बुलाने का भी आग्रह किया जाएगा ताकि मार्च से पहले यह बैठक हो जाए और कर्मचारियों के प्रमुख मुद्दे प्राथमिकता के आधार पर सुलझा लिए जाएं। महासंघ अपना कार्यकाल समाप्त होते ही खंड स्तर से राज्य स्तर तक चुनाव करवाकर नई कार्यकारिणी गठित करेगा। एनआर. ठाकुर ने कहा कि महासंघ प्रदेश के कर्मचारियों को भयमुक्त वातावरण देगा और किसी के साथ द्वेष व बदले की भावना से काम नहीं होगा।
महासंघ का प्रयास रहेगा की प्रदेश में कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिले और सभी कर्मचारी ईमानदारी से काम करते हुए प्रदेश को विकास की नई ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए सरकार को सहयोग करें। महासंघ मुख्यमंत्री व प्रदेश के कर्मचारियों के बीच बेहतर तालमेल बिठाकर कर्मचारियों और मजदूरों के प्रमुख मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि महासंघ एक-दो दिनों में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान चार्जशीट, निलंबन, कारण बताओ नोटिस और तबादलों का दंश झेल रहे कर्मचारी नेताओं की सूची मुख्यमंत्री को सौंपेगा ताकि पिछली सरकार द्वारा की गई ज्यादतियों से कर्मचारी नेताओं को निजात दिलाई जा सके।