शिमला (एमबीएम न्यूज़) : केंद्रीय प्रेस शिमला को बंद करने के मोदी सरकार के फरमान के विरोध में प्रेस कार्यालय के कर्मचारियों ने संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। केंद्रीय प्रेस के बंद होने से यहां तैनात कर्मचारियों का दिल्ली और अन्य जगहों में सेवाएं देनी होंगी। दरअसल केंद्र सरकार ने इस कार्यालय में तैनात 90 से अधिक कर्मचारियों को दिल्ली जाने के निर्देश जारी किए हैं, इससे इन कर्मियों में भारी आक्रोश है।
टूटीकण्डी स्थित केंद्रीय प्रेस के कर्मचारी गुरूवार को दफतर के बाद धरने पर बैठ गए। इसमें सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रोष प्रकट किया गया।
धरने पर बैठे कर्मियों ने कहा कि केंद्रीय प्रेस को बंद करने के फैसले से करीब 98 कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। इनमें से कई कर्मचारियों की सेवानिवृति समीप है और इस सूरत में हिमाचल से बाहर दूसरे कार्यालय में सेवाएं देने से उन्हें मुश्किल आएगी। कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को अपने फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिए।
नेशनल काउसिल जेसीएम मशिनिरी के सदस्य के एल गोतम के मुताबिक यह देश की सबसे पुरानी प्रिंटिंग प्रेस है और सरकार के इस फैसले से यहां काम कर रहे कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। केंद्र सरकार को इस प्रेस को बंद करने का निर्णय वापिस लेना चाहिए।
सनद रहे कि केंद्र सरकार ने शिमला समेत अन्य चुनिंदा जगह स्थापित केंद्रीय प्रेस बंद कर उन्हें बाकी संचालित 5 प्रेस में मर्ज करने का फैसला लिया है।
अंग्रेजों के जमाने में स्थापित हुई केंद्रीय प्रेस को भारत की सबसे पुरानी प्रेस में से माना जाता है। इस प्रेस में अंग्रेजी सरकार के कई महत्वपूर्ण और गोपनीय दस्तावेजों के प्रकाशन के अलावा आजाद भारत के संविधान के भी कुछ हिस्से भी छापे गए।
ये पहली बार नहीं है जब प्रेस को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। 1986 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी इसको बंद करने का प्रयास किया था।
वर्ष 2002 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने भी इसे बंद करने का निर्णय ले लिया था किंतु कर्मचारियों के संघर्ष और विरोध के चलते इन निर्णयों को सरकारों को वापस लेना पड़ा था।