नाहन (रेणु कश्यप) : तकरीबन 60 साल के महेंद्र कुमार ‘काला’ की मुंगफली का स्वाद निराला है। यही कारण है कि मुंगफली भी बिकने के दौरान नखरे में रहती है। आप सोच रहे होंगे कि मुंगफली का नखरा कैसा, तो बात यह है कि 40 साल से मुंगफली बेचने के कारोबार में लगे महेंद्र सिंह की मुंगफली की गुणवत्ता ही अलग है। गुन्नुघाट में कुछ घंटों के ठिकाने के बाद शाम 8 बजे से पहले ही मुंगफली बिक जाती है। गुणवत्ता ही है, जो महेंद्र की मुंगफली का नखरा बनाती है।
सर्दियों में महेंद्र मुंगफली का कारोबार करते हैं तो गर्मियों में आइसक्रीम का। लेकिन असल पहचान मुंगफली ने ही दी है। गुणवत्ता को लेकर जब एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने पूछा तो निसंकोच होकर राज भी खोला। उन्होंने बताया कि अमूमन मुंगफली की भुनाई में कमी रखी जाती है, लेकिन वह 40 से 50 किलो मुंगफली की भुनाई में 5 से 6 घंटे रोजाना तो लगाते ही हैं। साथ ही दो लोगों को सफाई के लिए भी रोजगार देते हैं।
रोचक बात यह है कि अमूमन चलते-फिरते लोग मुंगफली के ठेलों से दो-चार मुंगफलियां उठा लेते हैं, लेकिन महेंद्र के ठेले से मुंगफली उठाने का साहस भी कोई नहीं करता। विदेशों में बसे शहर के लोग अगर संयोगवश सर्दियों में घर आएं तो महेंद्र की मुंगफली का स्वाद चखे बिना नहीं रह पाते।