बद्दी (एमबीएम न्यूज़ ): भाई-बहन के संबंधों को और प्रगाढ बनाने के उदेशय से भारतीय संस्कृति में रक्षा बंधन की तरह भाई दूज का पर्व भी आदिकाल से चला आ रहा है। भ्राता की दीर्घायु की मंगलकामना करते हुए बहनें तिलक लगाती हैं। इस दिन बहन को अपने घर भाई को बुलाकर भोजन कराना चाहिए और विशेष तौर पर शंति के प्रतीक चावल खिलाने चाहिए । भोजनोपरांत एक खोपा देकर विदा करना चाहिए। भाई को भी कोई उपहार बहन को इस मौके पर देना चाहिए।
उग्र स्वभाव के भ्राता को लाल की बजाय सफेद चंदन या दही चावल का तिलक लगाना चाहिए ताकि उसका स्वभाव व संबंध मधुर रहें। इस दिन तिलक का शुभ समय दोपहर सवा एक से साढे तीन बजे तक रहेगा। प्रसिद्व ज्योतिषविद्व मदन गुप्ता स्पाटू ने बताया कि यमराज और यमुना के आपसी प्रेम पर आधारित यह पर्व पूर्ण विश्वास और श्रद्धा से मनाना चाहिए ताकि अदालतों में भाई-बहनों के पैतृक संपत्ति को लेकर चल रहे मुकदमों में कमी आए। दिवाली के पंचपर्वो का अंतिम दिवस है यम द्वितीया जो कार्तिक मास की द्वितीय तिथि को आती है जिसे भ्रातृदूज भी कहा जाता है।
भाई दूज या यम द्वितीया पर क्या करें ? यह पर्व रक्षा बंधन के समकक्ष भाई व बहन के मध्य प्रेम बढाने, उनके कल्याण, व देखभाल, कुशल क्षेम पूछने के लिए बनाया गया है। राखी पर बहन ,भाई के घर जाती है परंतु भाई दूज पर परंपरा इसके विपरीत बनाई गई है कि भाई बहन के घर टीका करवाने के बहाने जाए और उसका हालचाल मोबाइल की बजाए आमने-सामने बैठ कर पूछे। इस दिन स्नानादि से निवृत होकर बहनों को भगवान विष्णु तथा गणेश जी की पूजा करनी चाहिए , फिर शुभ समय पर भाई को तिलक लगाना चाहिए। इस परंपरा से आपसी सौहार्द्र बढता हैै।
आपसी विवादों तथा वैमनस्य में कमी आती है। भाई कोई शगुन,आभूषण या गीफट बदले में अपने सामर्थ्यानुसार दे। बहन भी भाई को मिठाई और एक खोपा देकर विदा करे। इस दिन तिलक का शुभ समय दोपहर सवा एक से साढे तीन बजे तक रहेगा। परंतु पर्व की भावना को सर्वोपरि मानते हुए और आधुनिक समय की आपाधापी में इस दिन अपने समय की उपलब्धता अनुसार मना लें ।