नाहन (एमबीएम न्यूज): चुनाव आचार संहिता के लागू होने के साथ ही मुद्दे भी सतह पर आने लगे हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में आचार संहिता से चंद सप्ताह पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने आनन-फानन में 5 करोड़ 27 लाख रुपए की लागत से उठाऊ पेयजल योजना का शिलान्यास कर दिया था। जैसे ही मौजूदा विधायक डॉ. राजीव बिंदल पार्टी के टिकट पर मैदान में कूदे तो लोगों की दुखती रग पर हाथ रख दिया, क्योंकि शहर में पेयजल संकट बड़ी समस्या थी।
यही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में बकायदा चैकडैम बनाने का मॉडल जनता के बीच रख दिया था। अब पांच साल बाद समस्या जस की तस है, लिहाजा यह भी कहा जाने लगा है कि विधायक राजीव बिंदल पानी वाले विधायक नहीं बन सके। चुनाव में मतदाता सर्वोपरि होते हैं। अब मतदाताओं की 9 नवंबर की राय महत्वपूर्ण होगी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांता कुमार को पानी वाला मुख्यमंत्री व धूमल को सडक़ों वाला मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया था।
विधायक बनने के शुरूआती चरण में डा. राजीव बिंदल ने पेयजल की समस्या को लेकर संघर्ष करने की कोशिश की, लेकिन धीरे-धीरे प्राथमिकता कम हो गई। बंकूवाला में टयूबवैल लगाने का श्रेय बिंदल को जाता है, लेकिन अब भी यह स्थिति स्पष्ट नहीं है कि इससे कोई लाभान्वित हो रहा है या नहीं। सनद रहे कि शहर की ददाहू से उठाऊ पेयजल योजना सालों से लंबित है। धारटीधार के कुछ इलाकों में लाइन को नहीं बिछने दिया गया। विधायक चाहते तो संभवत: अब इस योजना का उदघाटन भी हो सकता था।