शिमला (शैलेंद्र कालरा): सूबे में चुनाव के दौरान टोपियों के रंग को लेकर सियासत खूब गर्माती है। महरून टोपी पहनने का मतलब भाजपा तो हरी टोपी का मतलब कांग्रेस। मगर आप, यह जानकर हैरान होंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बिलासपुर रैली में हरी टोपी भी पहनी तो महरून को भी सिर का ताज बनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोपी के रंग की सियासत से ऊपर उठकर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का मान भी रखा। साबित किया कि टोपियों के रंग से सियासत नहीं होती।
दरअसल जब एम्स व आईआईआईटी शिलान्यास के अलावा कंदरौड़ी स्टील प्लांट का उदघाटन हुआ तो उसी दौरान एलईडी पर चलचित्र के माध्यम से जानकारी दी जा रही थी। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रधानमंत्री को हरी टोपी व शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने कुछ क्षणों बाद शॉल को तो हटा दिया, लेकिन हरे रंग की टोपी को अपना ताज बनाए रखा। यह अलग बात है कि जनसभा के मंच पर पहुंचते-पहुंचते प्रधानमंत्री की टोपी का रंग हरे से महरून हो गया। संबोधन में सांसद अनुराग ठाकुर ने भी टोपी का जिक्र किया। कहा, इजराइल में प्रधानमंत्री ने हिमाचली टोपी पहन कर हिमाचल का मान बढ़ाया।
हरी टोपी को बुशहरी टोपी कहा जाता है। वहीं महरून व कुल्लू टोपी भाजपा की निशानी है। सूबे में हर चुनाव से पहले टोपियों की मांग भी बढ़ जाती है। हाल ही में एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने ही इस बात का खुलासा किया था कि दो मेडिकल कॉलेजों के उदघाटनों के दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने महरून टोपी को स्वीकार नहीं किया था। कुछ दिन तक इस बात पर भी खूब सियासत गर्माई थी। भाजपा ने इसकी आलोचना शुरू की तो कांग्रेस ने उन तस्वीरों को वायरल कर दिया, जिसमें भाजपाईयों द्वारा सीएम के पुतले को पहनाई गई टोपी को जलाते दिखाया गया था।
सनद रहे कि कुछ अरसा पहले पूर्व पर्यटन मंत्री विजय सिंह मनकोटिया ने भी तिरंगनी टोपी लांच की थी। पूर्व सैन्य अधिकारियों ने टोपी पहन कर मनकोटिया को समर्थन देने का ऐलान किया था।