शिमला (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही मचाने के बाद मानसून विदा हो गया है। मौसम विभाग ने शनिवार को इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है। खास बात यह है कि सामान्य से कम बरसने के बावजूद मानसून ने इस बार भारी तबाही मचाई। मंडी के कोटरूपी में पहाड़ धंसने से 46 लोगों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया था। इसके अलावा भूस्खलन, मकान व पेड़ गिरने, आसमानी बिजली और वर्षा जनित सड़क दुर्घटनाओं में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं।
मानसून ने जून के आखिरी सप्ताह में प्रदेश में दस्तक दी थी और इस साल प्रदेश भर में औसत से 15 फीसदी कम बारिश हुई। जिलावार बारिश की बात करें तो ऊना में सबसे ज्यादा हुई जबकि जनजातीय जिले लाहौलस्पीति में सबसे कम वर्षा हुई। प्रदेश में मानसून ने जून के आखिरी सप्ताह में दस्तक दी थी। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक मनमोहन सिंह ने बताया कि मानसून वापसी के लक्षण कई दिन से दिखने लगे थे और शनिवार को इसकी औपचारिक घोषणा हो गयी।
उन्होंने कहा कि सीजन में प्रदेश में 719.9 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि औसत बारिश 843.5 मिमी मानी जाती है। इस लिहाज से मानसूनी बारिश 15 फीसदी कम रही। उन्होंने बताया कि मानसूनी बारिश का दौर इस साल खत्म हो गया है और अगले सप्ताह पूरे प्रदेश में दिन में अच्छी धूप खिलेगी।
मनमोहन सिंह ने बताया कि लाहौल-स्पीति, किन्नौर, चंबा, सिरमौर और सोलन में मानसून सामान्य से कम बरसा। जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति में सबसे कम 70 फीसदी बारिश हुई। मानसून सीजन में चंबा में सामान्य से 50 फीसदी, किन्नौर में 32 फीसदी, सोलन में 16 और सिरमौर में 8 फीसदी कम बारिश हुई। ऊना में मानसून सामान्य से 18 फीसदी अधिक बरसा। इसी तरह कुल्लू जिले में 13, बिलासपुर व मंडी में 9, कांगड़ा में 3 और शिमला में 2 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई।