शिमला (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल प्रदेश पीटीए शिक्षक संघर्ष मंच के प्रदेशाध्यक्ष पंकज कुमार, महिला प्रकोष्ठ की राज्य अध्यक्ष छवि सूद राज्य उपाध्यक्ष दिनेश पटियाल व महासचिव संजीव ठाकुर व मुख्य सलहाकार नरेंदर शर्मा, राज्य कोषाध्यक्ष रविकांत शर्मा,संयोजक कासिम खान, सहसचिव अमित शर्मा, सचिव विनीता ठाकुर इत्यादि पदाधिकारियों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरकार आगामी 18 सितम्बर की कैविनेट में अनुबन्ध पीटीए अध्यापकों को सशर्त नियमितीकरण का बहुप्रतीक्षित निर्णय लेकर हजारों अध्यापकों के हित को सुरक्षित करे।
संघर्ष मंच ने एक बार फिर से अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि सरकार चुनावी वर्ष में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह स्वयं 2012 में सत्ता में आते ही नियमित करने का वायदा किया था गौरतलव है कि सरकार तो बनी पर वो वायदा सरकार के कार्यकाल के आखरी महीनों में भी अभी तक पूरा नही हो सका है।
पदाधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार किसी कारणवश उपरोक्त मांग को पूरा करने में असमर्थ है तो सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की तर्ज पर 2 साल का अनुबन्ध कार्यकाल पूरा करने वाले अनुबन्ध कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देकर आंशिक राहत दी जाए साथ ही पैट अध्यापकों की तर्ज़ पर वन टाइम रिलैक्ससेशन व ट्रांसफर पॉलसी का प्रावधान किया जाए, क्योंकि टांसफर की सुविधा न होने के चलते इस वर्ग को पिछले 12 साल से भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है इसलिए अगर सरकार आगामी मंत्री मण्डल की महत्वपूर्ण वैठक में इसपर निर्णय लेती है तो अनुबन्ध कर्मचारियों को राहत मिल सकेगी जिससे अनुबन्ध पीटीए अध्यापक भी लाभान्वित होंगे।
पदाधिकारियों ने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि सरकार हमारे वर्ग को भी चुनावी वर्ष में कुछ न कुछ राहत देने का प्रयास जरूर करेगी और हमसे किये वायदे अनुसार सरकार इस कैविनेट मीटिंग में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अध्यापकों के पिछले डेढ़ दशक के शोषण से राहत देगी व संघर्ष मंच की पिछले 3 सालों से चली आ रही मांग पूरा करेगी अगर सरकार हमारे वर्ग की उपरोक्त मांगों को नजरअंदाज करती है तो समस्त अनुबन्ध पीटीए अध्यापक परिवार सहित आने वाले विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे ।
गौरतलब है कि वर्ष 2012 के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस ने वादा किया था की सत्ता में आने पर पीटीए अध्यापकों को नियमित किया जाएगा जिस पर इस वर्ग ने सत्तारूढ़ दल का सार्वजनिक तौर पर खुला समर्थन करकर सत्ता तक पहुचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन इस वर्ग को अभी तक राहत के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है, बल्कि सरकार द्वारा इस वर्ग की जायज मांगों को लगातार नज़र अंदाज़ किया जा रहा है।
संघर्ष मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार के लिए हमारे वर्ग को नज़रअंदाज़ करके मिशन रिपीट करना आसान नही अपितु नामुमकिन होगा लेकिन अगर सरकार 18 सितम्बर की मंत्रिमंडल की बैठक में हमारे वर्ग को राहत देती है तो हम सरकार को खुले समर्थन का ऐलान करेंगे और मिशन रिपीट के लिए सहभागी की भूमिका निभाएंगे