नाहन (एमबीएम न्यूज) : शिक्षक दिवस पर सूबे के बेहतरीन शिक्षकों को राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से अलंकृत करने की रिवायत है। इस साल शिक्षकों के चयन पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। हिमाचल प्रदेश राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद ने साफ लहजे में चयन प्रक्रिया पर शंका जाहिर की है। दरअसल सिरमौर से जगत राम शर्मा को हाल ही में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से राज्यपाल द्वारा अलंकृत किया गया।
यहां यह भी साफ करना जरूरी है कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क की सम्मानित शिक्षक की भावना को ठेस पहुंचाना मकसद नहीं है, केवल वही बात उठाई जा रही है, जो हिमाचल प्रदेश राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद की सिरमौर इकाई ने उठाई है।
परिषद का आरोप है कि सम्मानित शिक्षक की उपलब्धियां हास्यास्पद हैं, क्योंकि उनके द्वारा दशाई गई दुर्गम क्षेत्रों की सेवाओं का दावा झूठा है, क्योंकि वह खुद ही दुर्गम क्षेत्र के मूल निवासी हैं। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पांवटा साहिब में शास्त्री के पद पर कार्यरत रहने के दौरान स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव ने उनके कार्यों पर रोक लगा दी थी, यानि डी-बार कर दिया गया था। इसकी वजह उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में लापरवाही थी। परिषद ने यह भी सवाल उठाया है कि जो शिक्षक मूल्यांकन में लापरवाही बरत कर सैंकड़ों विद्यार्थियों के परिणाम को बाधित कर सकता है, वह बेहतरीन शिक्षक कैसे हो सकता है।
यह भी आरोप है कि शिक्षक द्वारा करवाया गया भवन निर्माण का कार्य दर्शाया गया, जबकि हकीकत में विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा श्रमदान व अनुदान से करवाया गया। परिषद का कहना है कि इस चयन प्रक्रिया से शिक्षकों का एक तबका खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। साथ ही शिक्षा विभाग से प्रकरण की जांच करने की मांग की है।