बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा) : लगातार बढ़ रहे गोविंदसागर झील के जलस्तर से बिलासपुर के लुहणू घाट में पर्यटक व स्थानीय लोग इसका नजारा देखने के लिए आ रहे हैं तो वहीं विभाग की तरफ से इन पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। सितंबर के माह में गोविंदसागर झील पूरे उफान पर होती है। प्रतिदिन यहां पर लगातार तीन से चार फीट पानी का जलस्तर बढ़ता है, जिससे कभी भी यहां पर बड़ा हादसा हो सकता है, परंतु जिला प्रशासन द्वारा यहां पर इस झील से दूरी बनाए रखने के कोई चेतावनीं बोर्ड नहीं लगाए गए हैं।
इस तरह जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते विभागीय अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। गौर हो कि झील ऊपरी छोर की तरफ बहुत बड़ा खेल का मैदान है, जहां पर प्रतिदिन सैकड़ों खिलाड़ी खेल का अभ्यास करते हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा यहां पर बेशक लोहे की चारदीवारी लगा दी हो, परंतु विभाग ने एक बार भी यहां पर चेतावनी बोर्ड लगाना अच्छा नहीं समझा। वहीं, अगर झील के साथ लगते श्मशानघाट की तरफ नजर दौड़ाएं तो वहां पर विभाग द्वारा कोई भी चारदीवारी नहीं लगाई है, जिससे कभी भी यहां पर कोई व्यक्ति या फिर पशुओं का पैर फिसलकर सीधे झील में जाकर गिर सकता हैं। विभाग द्वारा यहां देखरेख के लिए पुख्ता इंतजाम भी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि श्मशानघाट को बने हुए तीन साल से अधिक समय होने लगा है, परंतु प्रशासन द्वारा यहां पर सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है। सूत्रों से पता चला है कि यहां पर कई बार आवारा पशुओं की झील में गिरने से मौत हो जाती है। हालांकि कई बार इस संदर्भ में स्थानीय लोगों द्वारा जिला प्रशासन को अवगत करवाया गया, परंतु विभाग द्वारा यहां पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
स्थानीय लोगों में मनीश कुमार, गौरव कुमार, संतोषी देवी, राजन शर्मा, प्रदीप शर्मा, विजय कुमार, अशोक कुमार, विनय वर्मा, आशुतोष कुमार, अभिषेक वर्मा, विकास, जितेंद्र व अन्य दर्जनों लोगों ने बताया कि आए साल जब भी यहां पर पानी चढ़ता है तो कई आवारा पशुओं व लोगों की पानी में डूबने से मौत हो जाती है। हाल ही में एक व्यक्ति शाम के समय यहां पर टहल रहा था। इस दौरान पांव फिसलने से वह झील में डूब गया।
लोगों का कहना है कि इस तरह के हादसे आए साल यहां पर होते हैं, परंतु एक बार भी जिला प्रशासन इन हादसों को रोकने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं करता है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि झील के किनारों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं, ताकि अगर कोई पर्यटक व स्थानीय लोग आए तो वे इस झील से दूरी बनाकर रखें, क्योंकि इस झील की गहराई बहुत है, जिसके चलते झील में गिरने से तुरंत मौत हो जाती है।
जब इस संदर्भ में हमने बिलासपुर के जिला उपयुक्त ऋग्वेद ठाकुर से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि पहले इस तरह का कोई बोर्ड नही लगा है अगर खतरा तो विचार विमर्श करके चेतावनी बोर्ड लगा दिया जाएगा ! वहीँ अगर झील में कोई मलबा फैंक रहा है तो उनपर कार्यवाही की जाएगी !
झील में फैंका जा रहा मलबा
गोविंदसागर झील में सरेआम पानी में मलबा फैंका जा रहा है। इसकी देखरेख न विभाग कर रहा है और न ही जिला प्रशासन। जब इस संदर्भ में वहां पर काम कर रहे मजदूरों से पूछा गया कि क्यों यहां पर मलबा फैंका जा रहा है, तो मजदूरों का कहना था कि एक निजी ठेकेदार ने कहा है कि सारा मलबा झील में फैंका।