कुल्लू ( एमबीएम न्यूज़ ): हिमाचल के ऐसा पहली बार हो रहा है, जब हरे पेड़ो पर कुल्हाड़ी चलाने की बजाय री-प्लांटेशन की जा रही हो। यानि पेड़ को उखाड़ कर दूसरी जगह पर लगाया जा रहा है। वन विभाग की कोशिश की दाद देनी होगी, यह अलग बात है कि बेहतरीन प्रयास कितना रंग लाता है। पौधों के संरक्षण के लिए वन विभाग फोरलेन की जद में आने वाले छोटे पेड़ पौधों की री प्लांटेशन कर रहा है।
वन विभाग बजौरा से लेकर मनाली तक फोर लेन की जद में आने बाले छोटे पौधों को फिर से रोपित कर रहा है। ऐसे पांच सौ पौधों को फिर से रोपित करने का लक्ष्य रखा गया है और महज तीन दिनों में वन विभाग 50 पौधों का री प्लांटेशन कर चुका है। हालांकि फोरलेन की जद में बजौरा से लेकर मनाली में करीब पांच हजार पौधों के बलि चढ़ने की संभावनाएं हैं जिनमें छोटे और बडे़ सब शामिल है। लेकिन 6 फुट से कम ऊंचाई बाले और 10 से 20 सैंटीमीटर तने वाले पौधों को विभाग फिर से रोपित कर रहा है। लिहाजा तीन दिनों में 50 पौधों की री प्लांटेशन हो चुकी है। लिहाजा वन विभाग की इस पहल की चारों ओर सराहना हो रही है।
डीएफओ नीरज चडढा के अनुसार जहां से भी पेड़ उखाड़े जाएंगे उसके आसपास के जहां वन विभाग की खाली पड़ी जमीन है, वहां पर री प्लांटेशन की जा रही है। जेसीबी के साथ ऐसे छोटे पेड़ों को बेहतरीन और बचाव वाले तरीके से जड़ से उखाड़ा जा रहा है। इसके बाद वन विभाग कर्मचारी खाली स्थान पर ले जाकर इनकी री-प्लांटेशन कर रहे हैं। गौरतलब है कि कुल्लू से लेकर मनाली तक नेशनल हाइवे के किनारे देवदार के पड़े काफी मात्रा में है।सर्वे में भी काफी पेड़ एनएचएआई की जद में आ गए हैं। उनकी बाकायदा वन विभाग ने निशानदेही भी कर दी है। हजारों पेड़ों में 500 के करीब ऐसे पेड़ हैं। जिनके तने 10 से 20 सेमीटर हैं। वन विभाग कुल्लू ने इन पेड़ों को बचाने के लिए योजना तैयार कर दी और वन विभाग योजना पर कार्य कर रहा है। जिन पेड़ों की री-प्लांटेशन की जा रही है उनकी देखभाल के लिए वन विभाग की टीम क्षेत्रों में तैनात रहेगी। इतने सारे पेड़ों को बचाकर वन विभाग पर्यावरण को बचाएगा। डीएफओ का कहना है कि उनका प्रयास है कि वे ज्यादा से ज्यादा पेड़ों को बचा सके इसके लिए हर संभव कार्य कर रहे हैं।