शिमला (एमबीएम न्यूज) : कोटखाई के बहुचर्चित गुडि़या और आरोपी सूरज के हवालात में कत्ल मामले में विवादों में घिरी हिमाचल पुलिस की खासी किरकिरी हुई है। मंगलवार को जैसे ही जांच एजेंसी सीबीआई ने आईपीएस रैंक के एक शीर्ष अधिकारी सहित आठ पुलिस वालों को गिरफतार किया, तो पूरे पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। गुडि़या मामले की जांच कर रही एसआईटी की कार्यप्रणाली शुरू से ही सवालों के घेरे में थी। आम जनता से लेकर विभिन्न सामाजिक संगठन एसआईटी की जांच से संतुष्ठ नहीं थे।
सीबीआई ने जिस तरह एसआईटी प्रमुख व आईजीए जहूर जैद्दी को गिरफतार किया है। उससे यह समझा जा सकता है कि सूरज की हत्या के साथ-साथ एसआईटी ने गुडि़या मामले की जांच में भी कोताही बरती है। चुंकि एसआईटी का सारा दारोमदार जहूर जैद्दी के हाथों में था और एसआटी के सदस्यों को उनके हर हुक्म का पालन करना पड़ता था। लिहाजा समझा जा सकता है कि दक्षिण रेंज के तत्कालीन आईजी जहूर जैद्दी की अगुवाई में गुडि़या मामला सुलझने की बजाय उलझता गया और आरेापी सूरज की हत्या को भी इससे जोड़ा जा सकता है। यह भी स्मरण रहे कि मामले में किरकिरी होने के बाद राज्य सरकार ने जहूर जैददी को दक्षिण रेंज के पद से हटाकर पुलिस मुख्यालय शिमला में कल्याण एवं प्रशासन में आईजी पद पर तैनात किया था।
सूत्रों की मानें तो एसआईटी प्रमुख की अगुवाई में जांच के दौरान कई ऐसे सबूत मिटा दिए गए हैं, जो कि इस मामले को सुलझाने और असली आरोपियों को पकड़ने में मददगार साबित हो सकते थे। चुंकि गुडि़या और सूरज की हत्या मामले की जांच के लिए सीबीआई 21 जुलाई को फील्ड में उतरी। इससे पहले 6 से 19 जुलाई तक प्रदेश पुलिस ने ही इस मामले की अपने स्तर पर जांच की थी और छह लोगों को गिरफतार किया था।
दरअसल गुडि़या मामले को पुलिस ने पहले दिन से ही गंभीरता से नहीं लिया। सूत्र बताते हैं कि सूचना के कई घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी और वो भी तब जब वहां गांववालों का हुजूम लग चुका था। पुलिस पर छानबीन में कोताही बरतने का आरोप लगा। लापरवाही की हद ये हुई कि एक आरोपी सूरज की हवालात में मौत हो गई। जनता के दबाव के बाद जांच सीबीआई को सौंपी गई है।
सूरज की मौत पर पुलिस की यह थ्योरी कि उसके साथी राजू ने सूरज का कत्ल किया है, किसी के गले नहीं उतरी। इस मामले में सीबीआई ने कोटखाई थाने के सारे स्टॉफ से कई चरणों में बातचीत की। बताया जाता है कि थाने के एक पुलिस कर्मी से सीबीआई को अहम जानकारियां मिलीं, जिसके आधार पर सीबीआई ने आईजी जहूर जैदी व डीएसपी मनोज जोशी सहित आठ पुलिस वालों को गिरफतार किया।
बहरहाल सीबीआई की बड़ी कार्यवाही के बाद अब सबकी नजर गुडि़या मामले में सीबीआई के अगले कदम पर लगी है। चुंकि पुलिस की एसआईटी ने जिन पांच लोगों को गुडि़या की हत्या व बलात्कार मामले में गिरफतार किया है, वह संदेहास्पद लग रहा है। सीबीआई बीते लगभग 40 दिनों से इन दोनों मामलों की तफतीश कर रही है और आगामी 31 अगस्त को उसे प्रदेश हाईकोर्ट में पूरी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी हैै। सीबीआई ने जिस तरह बड़ी कार्यवाही करते हुए प्रदेश पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी सहित आठ पुलिस वालों को गिरफतार किया है, उससे समझा जाना चाहिए कि सीबीआई गुडि़या मामले को सुलझाने का पुरजोर प्रयत्न कर रही है।
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