शिमला (एमबीएम न्यूज़) : कोटखाई के बहुचर्चित गुडिया हत्याकाण्ड मामले को सीबीआई को सुपूर्द करने का वीरभद्र सरकार का फैसला राहत भरा माना जा सकता है। पूरे प्रदेश को सकते में डालने वाले इस मामले में कई ऐसे पहलू हैं, जिनका एसआईटी खुलासा नहीं कर पाई है। एसआईटी ने 6 अपराधियों को गिरफतार कर 5 आरोपियों को इस हत्याकाण्ड का दोषी ठहराकर मामला सुलझाने का दावा किया है, लेकिन एसआईटी की थ्योरी लोगों के गले नहीं उतर रही है। यही कारण है कि लोग एसआईटी की जांच पर सवाल उठा रहे हैं।
इस मामले को सुलझाने का दावा करने वाली एसआईटी और राज्य पुलिस के लिए यह बड़ा झटका है कि प्रदेश के लोगों ने उनकी जांच प्रक्रिया को न केवल नकारा, बल्कि इसे पूरे तरह से कटघरे में ही खड़ा कर दिया। मिली जानकारी अनुसार राज्य में पहली बार हत्या व दुराचार के किसी मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। 16 वर्षीय छात्रा की दुराचार के बाद बर्बरतापूर्ण हत्या के मामले में कई ऐसे अनसुलझे पहलू हैं, जिनका खुलासा होना बाकी है।
एसआईटी का कहना है कि 4 जुलाई को छात्रा स्कूल से घर लौटते वक्त करीब पांच-छह बजे सांय जब लापता हुई थी, उसी दिन अपराधियों ने दुराचार करके उसे मौत के घाट उतार दिया था। एसआईटी का यह अन्वेषण सवालों के घेरे में है, क्योंकि स्थानीय ग्रामीणों ने छात्रा का शव 6 जुलाई की सुबह वस्त्रविहीन अवस्था में पड़ा देखा। इस तरह 72 घंटों से अधिक समय तक शव वीरान और सुनसान जंगल में पड़ा रहा। बरसात के मौसम में इतने घंटे बीतने पर शव दुर्गंध मारता है और यह दूर-दूर तक महसूस होती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दो रातें शव जंगल में पड़ा रहा और किसी जंगल जानवर ने शव को नहीं नोचा।
दूसरी अहम बात यह है कि 4 जुलाई को जब गुडिया लापता हो गई थी, तो उसके अगले दिन इसके परिजनों ने उसे उसी जंगल में खोजा, लेकिन वह नहीं मिली। जबकि पुलिस कह रही है कि 4 जुलाई को जंगल में हत्या कर उसका शव फेंक दिया गया था। सबसे पहले गिरफतार किए गए आशीष चौहान को लेकर भी एसआईटी अजीबोगरीब तर्क हैं। एसआइटी कह रही है कि आशीष रेप में शामिल नहीं था। वह मोबाइल से अन्य आरोपियों से बात करता था और घटना के बाद से उसका मोबाइल नान एक्टिव हो गया। अब जब आशीष वारदात स्थल पर ही मौजूद नहीं था, तो उसे सबसे पहले गिरफतार क्यों किया गया ?
एसआईटी ने 6 आरोपियों की गिरफतारी से पहले जिन 5 लोगों से दो दिन अज्ञात स्थान पर पूछताछ की थी। यह भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि बताया जाता है कि ये वो आरोपी नहीं थे, जिन्हें एसआईटी ने गिरफतार किया है।
वारदात का एक अन्य पहलु भी हैरान करने वाला है। एसआईटी द्वारा गिरफतार किए गए 5 अपराधी वारदात स्थल के नजदीक के गांव के रहने वाले थे। इतना बड़ा अपराध करने के बाद उनमें से कोई भी नहीं भागा। कुल मिलाकर मामले से जुडे कई वाक्य अनसुलझे लग रहे हैं। अब सीबीआई जांच में इनके खुलासे होने की उम्मीद लगाई जा रही है।