ऊना (एमबीएम न्यूज़) : कपड़े पर जीएसटी लगने व सूरत में व्यापारियों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर जिला ऊना के कपड़ा व्यपारी उग्र को गए है। वीरवार को कपड़ा व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रख एमसी पार्क ऊना के बाहर धरने पर बैठ गए। एक दिवसीय सांकेतिक प्रदर्शन के दौरान कपड़ा व्यापारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर जीएसटी प्रक्रिया को आसान करने की मांग उठाई।
कपड़ा व्यापारी संघ के जिला प्रधान इकबाल सिंह का कहना है कि जीएसटी से कपड़ा व्यापारियों की परेशानी बढ़ जाएगी, क्योंकि अत्यधिक व्यापारी वर्ग शिक्षित नहीं है। जीएसटी की प्रक्रिया एक अशिक्षित व्यापारी से संभव नहीं है। उसको न तो कंप्यूटर का ज्ञान है और न ही उसकी दुकान में कंप्यूटर लगाने की जगह है। उन्होंने कहा कि कपड़ा व्यवसाय एक स्वरोजगार का माध्यम है और इसके द्वारा करोड़ों की संख्या में रोजगार का सृजन होता है। इसमें कपड़ा व्यापारी छोटी पूंजी से अपने व्यापार को करता है और अपने परिवार और कर्मचारियों का जीवन यापन करता है। इसलिए व्यापारी इतनी कम पूंजी में कंप्यूटर और एकाउंटेंट रखने में असमर्थ है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी से कपड़ा क्षेत्र में जो भारी गिरावट आएगी और बेरोजगारी फैलेगी इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी एवं जवाबदेही कपड़ा मंत्रालय और भारत सरकार की होगी। इसलिए इस क़ानून को वापस लिया जाए नहीं तो इससे बेरोजगारी की समस्या और बढ़ जाएगी और किसानों की तरह ही व्यापारी भी आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाएगा। उन्होंने कहना है कि वे अभी तक नोटबंदी की परेशानी से उबर भी नहीं पाए थे कि सरकार ने कपड़े पर जीएसटी लगाकर उनकी परेशानी और अधिक बढ़ा दी है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने से कोई परेशानी नहीं है। परेशानी है तो जीएसटी के बाद खाते मेंटेन करने की। इसके बारे में अभी उन्हें पूरी जानकारी तक नहीं है। सरकार को चाहिए कि जीएसटी प्रक्रिया को आसान बनाए। धरने पर बैठने वालों में सोमनाथ कौशल, केके धवन, इंदरजीत सिंह, चंदर सहगल, सुभाष भाटिया, सुभाष चौधरी, हर्ष दीप, संजीव, अशोक कुमार, दीपक मनोचा, सुशील, संजीव, रोहित नागपाल, सोनू मक्कड़, विक्की, सतनाम सिंह सहित जिला ऊना के कपड़ा व्यापारी शामिल रहे।