पांवटा साहिब (एमबीएम न्यूज): हिमाचल-उत्तराखंड को जोडऩे वाली अहम कड़ी पर खतरे के बादल मंडरा रहें हैं। तकरीबन 40 साल पहले बने इस पुल पर कंपन तेजी से बढ़ रही है। यमुना नदी पर इस पुल का निर्माण तत्काल प्रभाव से संभव नहीं नजर आता। लेकिन उचित कदम उठाए जाने की आवश्यकता महसूस होने लगी है। कुछ साल पहले पुल के कुछ हिस्से में ही वाहन चालक कंपन महसूस करते थे, लेकिन अब यह पूरे पुल पर ही महसूस की जाने लगी है।
अगर पुल गिरा तो समझिए कि बड़ा नुकसान हो सकता है। प्रदेश की राजधानी इसी संपर्क मार्ग के माध्यम से पड़ोसी राज्य की राजधानी से जुड़ती है। इसके अलावा चंडीगढ़ से देहरादून जाने वाला ट्रैफिक भी इसी नेशनल हाईवे को प्राथमिकता देता है, क्योंकि वाया सहारनपुर में जाम की स्थिति अक्सर रहती है।
गनीमत इस बात की है कि समय रहते पांवटा साहिब की संस्था सिटीजन ऑफ पांवटा साहिब फॉर अकाउंटेबलिटी इन गवर्नेस ने इस मसले को समय रहते ही उठा दिया है। शुक्रवार को बकायदा पत्रकारवात्र्ता में पुल की हालत पर चिंता प्रकट की गई। सनद रहे कि बाता पुल भी खस्ताहालत में है, लेकिन नए पुल का काम शुरू हो चुका है। इसके अलावा वैकल्पिक व्यवस्था भी है।
संस्था के अध्यक्ष सुबोध अब्बी का कहना है कि टोल टैक्स बैरियर पर लंबे वाहनों की कतारें लग जाती हैं। लिहाजा पुल पर हर समय अतिरिक्त वजन रहता है। आरटीओ व एक्साइज के बैनर भी पुल पर होने के कारण समस्या रहती है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक इस पुल से रोजाना 200 से 300 ट्राले गुजरते हैं। सनद रहे कि करीब 8-10 साल पहले कालाअंब में मारकंडा पुल भी अचानक ही ध्वस्त हो गया था।
उधर नेशनल हाईवे विंग के अधिकारी भी दबी जुबान से इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि पुल की हालत खस्ता हो गई है।