शिमला (एमबीएम न्यूज़ ): हिमाचल प्रदेश के सरकारी एवं निजी स्कूलों के अलावा केंद्रीय विद्यालयों के भोले-भाले विद्यार्थियों से कैंसर मरीजों की मदद के नाम पर दूसरे राज्यों के एनजीओ करोड़ों रुपए इकट्ठे करवा कर चंपत हो जाते हैं। राज्य सरकार की मंजूरी के बिना यह अवैध धन वसूली स्कूल प्रशासन की मिलीभगत से की जा रही है। आजकल प्रदेश में कम से कम चार एनजीओ बच्चों के जरिए अवैध धन उगाही के काम में लगे हैं।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने शिमला के एक सरकारी स्कूल द्वारा लखनऊ के एक एनजीओ के लिए फंड इकट्ठा करने में मासूम बच्चों के इस्तेमाल का भंडाफोड़ करते हुए मुख्यमंत्री से तुरंत उच्चस्तरीय जांच बैठाने, पुलिस में एफआईआर कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री के अलावा प्रधान सचिव (शिक्षा) और उच्च शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को भेजे एक पत्र में अजय श्रीवास्तव ने बताया कि शिमला के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लालपानी द्वारा लखनऊ पंजीकृत कैंसर एड सोसाइटी के लिए स्कूल के विद्यार्थियों को घर-घर भेजकर फंड इकट्ठा कराया जा रहा है। अब तक बच्चे हजारों रुपए इकट्ठा करके शिक्षकों को सौंप चुके हैं। बच्चों को एनजीओ के लिए फंड इकट्ठा करने के एवज में बड़े-बड़े इनाम देने का लालच दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस के पुख्ता प्रमाण उनके पास हैं।
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि उनके घर पर लालपानी स्कूल के 11वीं कक्षा के तीन विद्यार्थी लखनऊ के एनजीओ के लिए जब फंड इकट्ठा करने आए तो उन्हें बच्चों का इस्तेमाल करके एनजीओ द्वारा फर्जीवाड़ा करने का शक हुआ। तीनों विद्यार्थियों ने बताया कि स्कूल के अंग्रेजी के एक शिक्षक ने उन्हें एनजीओ द्वारा जारी पर्चा देकर धन इकट्ठा करने के लिए भेजा है। स्कूल के सैकड़ों विद्यार्थियों को इस काम में लगाया गया है।
लखनऊ के एनजीओ से अजय श्रीवास्तव द्वारा फोन पर बात किए जाने से पता चला कि वह संस्था हिमाचल प्रदेश के अलावा देश के अनेक राज्यों में इसी तरह बच्चों का इस्तेमाल करके फंड इकट्ठा करती है। संस्था के एक अधिकारी ने कहा कि वह कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए स्कूल के माध्यम से बच्चों को घर – घर भेजते हैं और साथ ही फंड इकट्ठा किया जाता है। उस अधिकारी ने स्वीकार किया कि हिमाचल प्रदेश या अन्य राज्यों में वह एनजीओ कैंसर पीड़ित मरीजों की मदद में कोई धन खर्च नहीं करता है।
विद्यार्थियों को दिए गए पर्चे में अंग्रेजी में कैंसर के बारे में अनेक सूचनाएं लिखी हैं और यह भी लिखा है कि कितनी राशि एकत्र करने पर बच्चे को क्या इनाम दिया जाएगा। बच्चे उसी पर्चे में बने कॉलम में धन देने वाले के हस्ताक्षर और राशि लिखते हैं। धन देने वालों को कोई रसीद नहीं दी जाती। बच्चे इनाम के लालच में लोगों के घर जाकर पैसे इकट्ठा करते हैं और एनजीओ बिना किसी रिकॉर्ड के फंड इकट्ठा करके चंपत हो जाता है। लखनऊ में पंजीकृत “कैंसर एड सोसाइटी” के देश के अनेक राज्यों में दफ्तर हैं और बच्चों का इस्तेमाल करके सभी जगह से फंड इकट्ठा कराया जा रहा है।
अजय श्रीवास्तव द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार इस समय हिमाचल में दूसरे राज्यों के तीन अन्य एनजीओ भी सरकारी स्कूलों के अलावा निजी स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों के माध्यम से फंड इकट्ठा करने में लगे हैं। अबतक ये एनजीओ स्कूल के बच्चों का इस्तेमाल करके करोड़ो रुपये इकट्ठा कर चुके हैं।
इस बारे में जब उन्होंने उच्च शिक्षा निदेशक से बात की तो पता चला कि राज्य सरकार ने किसी भी स्कूल को फंड इकट्ठा करने के लिए बच्चों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी है।
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। राज्य सरकार बच्चों का इस्तेमाल करके एनजीओ के लिए फंड इकट्ठा करने की गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाए और समूचे मामले की जांच कर के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करे।