पांवटा साहिब (एमबीएम न्यूज़) : त्रिवेणी स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस की प्रिंसीपल पिंकी रमौल द्वारा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल महामहिम आचार्य देवव्रत जी को “उत्तर भारत में पर्यटन, चुनौतियां और संभावनाएं” शीर्षक पर रिसर्च रिपोर्ट प्रेषित की गई है। इस शोध रिपोर्ट में उत्तर भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में पर्यटकों एवं स्थानीय निवासियों का सर्वे किया गया, जिसमें शिमला, जयपुर, कुल्लू-मनाली, नैनीताल, माउंट आबू, मसूरी, उदयपुर, श्रीनगर, जोधपुर, डलहौज़ी, धर्मशाला, जम्मू, गुलमर्ग तथा पहलगाम शामिल थे। रिसर्च सर्वे में कुल 600 पर्यटक और 600 निवासियों को शामिल किया गया था।
शोध से यह जाहिर हुआ है कि हालांकि पर्यटन स्थलों में वेश्यावृत्ति, शराब और ड्रग्स जैसे प्रमुख उपद्रव प्रमुख खतरों के रूप में उभरे हैं, लेकिन आम तौर पर लोग अपने क्षेत्र को बदनाम नहीं करना चाहते हैं और अक्सर इन समस्याओं के अस्तित्व के बारे में अज्ञानता दर्शाते हैं। हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला और मनाली रेव पार्टी के लिए बदनाम हुए हैं, जहाँ पार्टी में शराब नशीले पदार्थ, सेक्स और संगीत का कॉकटेल उपलब्ध होता है। निसंदेह स्थानीय प्रशासन रेव पार्टीज के अस्तित्व को अधिकतर नकारते रहे हैं।
धर्मशाला में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच का आयोजन होने से क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है तथा पर्यटन को काफी बढ़ावा मिला है। दूसरी ओर हम कश्मीर घाटी में पर्यटन को पुनर्जीवित करने की उम्मीद तभी कर सकते हैं, अगर घाटी में कानून और व्यवस्था की स्थिति सामान्यीकृत होती है और पर्यटकों की सुरक्षा की गारंटी दी जा सकती है।
रिपोर्ट में यह उजागर हुआ है कि उचित विकास नीति के अभाव में अधिकतर पर्यटक स्थल तेजी से कंक्रीट जंगल बनते जा रहे हैं और प्राकृतिक सौंदर्य विलुप्त होता जा रहा है। पर्यटन स्थलों में उचित स्वच्छता के अभाव में पर्यटकों के लिए संक्रमण व बीमारियों का अधिक जोखिम है। इसके अतिरिक्त आवारा कुत्तों, बंदरों तथा मवेशियों से भी अक्सर पर्यटक खतरे में पड़ते हैं।
प्रमुख पर्यटन स्थलों में विशेषकर सार्वजनिक स्थलों पर वाई फाई स्पॉट बनाया जाना चाहिए। इसके लिए दूरसंचार कंपनियों से सरकार द्वारा सहमति ज्ञापन किया जा सकता है। भारत को जनसांख्यिकीय लाभांशश् के संभावित लाभ प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के साथ पर्यटन विकास नीतियों के अभिसरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। पर्यटन को प्रो.पुअर बनाने के लिए सरकार को परंपरागत ललित कला और हथकरघा कार्यों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
रिपोर्ट में यह अनुशंसा की गई है कि एक अच्छी नाइटलाइफ़ आज के आधुनिक जीवन का हिस्सा है और सरकार को नाइट लाइफ़ के लिए उचित सुविधा प्रदान करनी चाहिए तथा इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय रुझानों को ध्यान में रखते हुए शराब, रेस्तरां और डांस बार से सम्बंधित नियमो में आवश्यक सुधार व संशोधन करने चाहिए। निश्चित ही इन नियमों में स्थानीय जनभावनाओं का भी ध्यान रखना होगा और हितधारकों को निर्णय व विकास में भागीदार बनाना होगा।
वर्तमान समय में भारत-पाक पर्यटन संबंधों को बढ़ावा देने के सुझाव और सिफारिश को राष्ट्र विरोधी माना जाने का खतरा है, लेकिन रिसर्च रिपोर्ट में की गई यह सिफारिश सबसे महत्त्वपूर्ण व तार्किक है, जिससे सम्पूर्ण उत्तर भारत में पर्यटन तीव्र गति से विकसित हो सकता है।