शिमला/ ऊना, 04 अगस्त : बेशक ही पानी में तैरते पत्थर (Floating Stone) का वैज्ञानिक नजरिया कुछ भी हो, लेकिन “हिमाचल प्रदेश” में ये चमत्कार (Miracle) से कम नहीं माना जा रहा। ऊना जिला की गोविंद सागर झील (Govind Sagar Lake) के मदली घाट में एक तैरता हुआ पत्थर पुलिस को मिला था। पहले इसे पुलिस कर्मियों द्वारा थाना लाया गया। बाद में इसे मंदिर में स्थापित कर दिया गया। इसे सुरक्षित रखने के लिए पुलिस द्वारा खास व्यवस्था भी की गई है। ये तब से ज्यादा चर्चा में है जब से डीएसपी अजय ठाकुर दर्शन को पहुंचे थे।
भारतीय कबड्डी (Indian Kabbadi Team) टीम के स्टार खिलाड़ी (Star Player) रहे डीएसपी अजय ठाकुर (Ajay Thakur) भी तैरने वाले पत्थर को देखने मंदिर पहुंचे तो उन्होंने भी आश्चर्य प्रकट किया। बार-बार पत्थर का मुआयना कर इसके पानी में तैरने की वजह तलाशने में लगे रहे। पुलिस को शुरू में ये लगा था कि पानी में अज्ञात शव का सिर तैर रहा है। बाद में पता चला कि माजरा कुछ और ही है।
डीएसपी अजय ठाकुर का कहना था कि पहली बार इस तरह का पत्थर देखा है। बाल्टी में “पत्थर” को रखने के लिए एक स्टैंड भी पुलिस कर्मियों द्वारा बनवाया गया है। डीएसपी से जुड़ा एक वीडियो भी सोशल मीडिया में सामने आया है। ये भी बताया जा रहा है कि पुलिसकर्मी नाव में बैठकर इस तक पहुंचे थे। पत्थर के बारे में जानकारी फैली तो बड़ी संख्या में लोग बंगाणा थाना पहुंचने लगे। धार्मिक आस्थाओं के मुताबिक रामसेतु (Ramsetu) पर लगाए गए पत्थर पानी में तैरते हैं।
वैज्ञानिक नजरिया…. खैर, हम आपको तैरते पत्थर का वैज्ञानिक नजरिया भी बताना चाहते हैं। वैज्ञानिक राय के मुताबिक ये पत्थर भीतर से खोखले होते हैं। छोटे-छोटे छेद होने की वजह से हवा भरी रहती है। वजन कम होने के कारण पानी में तैरते हैं। अमूमन ऐसे खास पत्थर समुद्र किनारे मिलते हैं, लेकिन “हिमाचल” जैसे पहाड़ी प्रदेश में इनका मिलना दुर्लभ हो सकता है। ये ही वजह हो सकती है कि पहाड़ी प्रदेश में खासी चर्चा में आ जाते है। लिहाजा आस्था का केंद्र बिंदू बनते हैं।