शिमला, 30 जुलाई : हिमाचल प्रदेश में चंबा घाटी (Chamba Valley) खास परिंदों की शरणस्थली बन रही है। हाल ही के समय में विशेष प्रजाति के उल्लू (Owl) व एक अन्य मनमोहक पक्षी (Beautiful Bird) को साइट किया गया है। हालांकि, ये नहीं कहा जा सकता कि ये पहली बार रिपोर्ट हुए हैं, लेकिन ये तय है कि लंबे अरसे बाद साइटिंग हुई है।
पक्षियों की प्रजातियों के शोध में गहन रुचि रखने वाले चंबा के दीपक गर्ग शर्मा ने चेस्टनट हेडेड बी ईटर (Chestnut-headed bee-eater) व इंडियन ईगल आउल को कैमरे में कैद किया। हालांकि, साइटिंग की रिपोर्टिंग काफी पहले हुई थी, लेकिन रिसर्च पेपर प्रकाशित होने के बाद ही दीपक ने अनुभव के साथ-साथ तस्वीरों को एमबीएम न्यूज नेटवर्क के साथ शेयर किया है। इसके मुताबिक चंबा से 7 किलोमीटर दूर सरोड़ी गांव में दीपक को रात साढ़े 8 से साढ़े 11 के बीच उल्लू 4 नवंबर 2022 को दिखा था। दिन के समय उल्लू की इस प्रजाति के दिखने की संभावना लेशमात्र होती है।
बता दें कि चंबा से पहले उल्लू की ये प्रजाति कांगड़ा व सिरमौर में रिपोर्ट हुई है। एक अनुमान के मुताबिक हिमाचल में ये उल्लू तीसरी या चौथी बार नजर आया है। इसके अलावा एक अप्रैल 2023 को दीपक ने बेहद ही खूबसूरत पक्षी इंडियन ईगल आउल (Indian eagle-owl) को कैमरे में कैद किया। ऐसा भी बताया गया कि चंबा से पहले ये पक्षी सिरमौर में रिपोर्ट हो चुका है। दिलचस्प बात ये है कि पक्षियों की खोज करने वाले दीपक ने इतिहास विषय की पढ़ाई की है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में दीपक का कहना था कि 2017 में पक्षियों को लेकर जिज्ञासा पैदा हुई। चंबा में तैनात डीएफओ (DFO) निशांत मल्होत्रा ने पक्षियों के प्रति जागरूक किया। इसके बाद 6 साल से पक्षियों की खोज में ही लगे रहते हैं। दीपक ने कहा कि 6 साल के भीतर चंबा जिला में पक्षियों की लगभग अढ़ाई सौ प्रजातियों (Species) को चिन्हित किया है। उनका कहना था कि पक्षियों की एक अलग ही खूबसूरत दुनिया है, इसे जानने में बेहद रोमांच आता है।
Chestnut-headed bee-eater
पक्षी की यह प्रजाति, अन्य मधुमक्खी व कीट खाने वालों की तरह एक गहरे रंग का पतला पक्षी है। यह मुख्य रूप से हरे रंग का होता है, दुम और निचले पेट पर नीला रंग होता है। चेहरा और गला काली आंख की धारी के साथ पीला है, और मुकुट और गर्दन गहरे भूरे रंग की है। लिंग एक जैसे होते हैं, लेकिन युवा पक्षी सुस्त होते हैं। यह प्रजाति 18-20 सेमी लंबी है।
यह एक पक्षी है, उपोष्णकटिबंधीय खुले जंगलों में प्रजनन करता है, अक्सर पानी के पास। यह पहाड़ी इलाकों में सबसे आम है। जैसा कि नाम से पता चलता है, मधुमक्खी खाने वाले मुख्य रूप से कीड़े खाते हैं , विशेष रूप से मधुमक्खियाँ , ततैया और सींग, जो एक खुली जगह से उड़ान भरकर हवा में पकड़े जाते हैं।
Indian eagle-owl
झाड़ियों और मध्यम जंगलों में देखे जाते हैं, लेकिन विशेष रूप से 1,500 मीटर से 4,900 फीट की ऊंचाई पर चट्टानी स्थानों के पास देखे जाते हैं। झाड़ियों से ढकी चट्टानी पहाड़ियाँ, खड्ड, नदियों और झरनों के किनारे पसंदीदा स्थान हैं। विशिष्ट चेहरे, बड़ी आंखों, सींगों और गहरी गूंजती आवाज वाला उल्लू की ये प्रजाति अंधविश्वास से भी जुड़ी है।
कई अन्य बड़े उल्लुओं की तरह, इन्हें भी अशुभ संकेत देने वाला पक्षी माना जाता है। अगर उनकी गहरी डरावनी आवाज घर के ऊपर से आती हैं तो इसे मृत्यु का पूर्वसूचक माना जाता है। इन पक्षियों को पकड़ने और मारने से संबंधित कई धारणाएं मौजूद है। एक यह है कि यदि पक्षी को कुछ दिनों तक भूखा रखा जाता है और पीटा जाता है, तो वह इंसानों की तरह बोलता है, यातना देने वाले के भविष्य की भविष्यवाणी करता है या उनके लिए धन लाता है, जबकि दूसरे में एक भाग्यशाली हड्डी खोजने के लिए पक्षी की हत्या शामिल है। पानी की धारा में गिराए जाने पर साँप की तरह प्रवाहित होता है। घोंसला बनाने का मौसम नवंबर से अप्रैल है। अंडे की संख्या तीन या चार होते हैं