नाहन, 20 जुलाई : सिरमौर में लिंग चयनित वीर्य (Sex Sorted Semen) के माध्यम से कृत्रिम गर्भधारण (artificial insemination) की तकनीक सफल हुई है। अमेरिका से आयात तकनीक से नाहन के कांशीवाला (Kanshiwala) में वीरवार को दीपक कुमार के घर सिरमौर की पहली ‘बछ़ड़ी’ ने जन्म लिया है। रोचक बात ये है कि गाय सिर्फ बछिया को ही जन्म देंगी। बछड़े के जन्म की गुंजाइश खत्म हो गई। पशुपालन विभाग की उपनिदेशक डॉ. नीरू शबनम ने निजी तौर पर दीपक कुमार के घर पहुंच कर बछिया को दुलारा।
क्या है तकनीक…
दरअसल, पशुपालन विभाग राज्य में त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत लिंग चयनित वीर्य द्वारा गऊओं (Cows) का कृत्रिम गर्भधारण करवा रहा है। इसके लिए एक खास तरह का वीर्य इस्तेमाल होता है। तकनीक में वीर्य से लिंग वर्णित करने वाले शुक्राणुओं को अलग कर दिया जाता है। सामान्य तौर पर वीर्य में एक्स तथा वाई शुक्राणुओं का अनुपात बराबर होता है। एक्स शुक्राणु से मादा संतान पैदा होती है।
सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक में प्रयोगशाला में वीर्य से एक्स व वाई शुक्राणुओं को अलग कर दिया जाता है, ताकि कृत्रिम गर्भाधारण के दौरान अधिक से अधिक एक्स शुक्राणु (x sperm) मादा अंडे (female eggs) को निशेचित कर सकें। सेक्स सोर्टेड वीर्य के उपयोग से 90 प्रतिशत मादा के जन्म होने की संभावना रहती है, जबकि 10 प्रतिशत नर पैदा हो सकते हैं।
ऐसे जन्मीं बछ़ड़ी…
सिरमौर को अक्तूबर माह में लिंग चयनित वीर्य की 1700 सीमन स्ट्रॉ मिली थीं। 11 नवंबर को दीपक कुमार की गाय का कृत्रिम गर्भाधान करवाया गया था। चूंकि ये गर्भाधारण मुख्यालय के नजदीक ही था, लिहाजा पशुपालन विभाग गाय पर बराबर नजर बनाए हुए था। राज्य के कई इलाकों में इस तकनीक से बछड़ियां जन्म ले चुकी हैं, लेकिन सिरमौर में ये पहली सफलता है।
पशुपालन विभाग की उपनिदेशक डॉ. नीरू शबनम ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से कहा कि कृत्रिम गर्भाधारण में सामान्य वीर्य के प्रयोग से नर व मादा के जन्म की 50-50 प्रतिशत संभावना रहती है, लेकिन सेक्स सॉर्टेड वीर्य में ये संभावना 90 प्रतिशत हो गई है।
क्या फायदे….
देश में नर बछड़ों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इससे सड़कों पर आवारा पशु भी बढ़ते जा रहे हैं। विभाग की कोशिश है कि सड़कों पर घूमने वाले आवारा बैलों की संख्या में कमी लाई जा सके। साथ ही पशु तस्करी की घटनाओं में भी कमी आएगी। उच्च अनुवांशिक गुणवत्ता वाली बछड़ियों का जन्म होगा। पशुपालन की आमदनी में भी वृद्धि होगी।