नाहन (शैलेंद्र कालरा): आम शख्स इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता कि दिल्ली से मुंबई तक पैदल दौडक़र भी पहुंचा जा सकता है। लेकिन ग्रेट इंडिया रन के आयोजकों ने चुनिंदा धावकों को ऐसा कर दिखाने का मौका प्रदान किया है। इस अल्ट्रा मैराथन के लिए आयोजकों ने देश व विदेश के चुनिंदा धावकों को ही चुना है। इसमें हिमाचली बेटा सुनील, जो सिरमौर की माईना पंचायत का रहने वाला है। देश की अनोखी इस दौड़ को शुरू होने में एक माह से भी कम का वक्त बचा है, लिहाजा सुनील कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा।
इस दौड़ को पूरा करने के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त सुनील को यह आसान सा सपना लग रहा है, क्योंकि इस दौड़ को पूरा करने के लिए 18 दिन का वक्त दिया जा रहा है। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले सुनील उस वक्त चर्चा में आए थे, जब उन्होंने चंडीगढ़ से दिल्ली की दौड़ कर पूरा किया था। इस दौरान सुनील ने 8 घंटे मूसलाधार बारिश का सामना भी किया था।
चलिए बताते हैं कि तीन जुलाई से 20 जुलाई तक हो रही इस अल्ट्रा मैराथन को पूरा करने के लिए सुनील ने क्या योजना बनाई है :
हर रोज 60 किलोमीटर दौडऩे की प्रैक्टिस की जा रही है। अलग-अलग मौसम के मुताबिक तैयारी जरूरी है। इसी कारण इस समय सुनील हमीरपुर के नादौन में प्रैक्टिस कर रहे हैं। सुबह तीन घंटे दौड़ते हैं, जब सूर्यदेव आग उगलते हैं, सडक़ें सुनसान हो जाती हैं, उस समय सुनील फर्राटे से दौड़ते नजर आ सकते हैं। शाम के वक्त दो से तीन घंटे व्यायाम व दौडऩे का कार्यक्रम रहता है। पूरा दिन तैयारी को ही समर्पित है। नादौन पहुंचने से पहले सुनील ने चंडीगढ़ में साइकलिंग व तैराकी के साथ-साथ 50 किलोमीटर दौड़ की प्रैक्टिस में खूब पसीना बहाया।
इस माह के दूसरे सप्ताह में नाहन पहुंचकर यहां के तापमान में कुछ दिन तैयारी करेंगे। इसके बाद अंतिम चरण में रोजाना श्रीरेणुका जी जमदग्रि टिब्बे की चढ़ाई को प्रतिदिन नापेंगे। 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई में भी तैयारी में कोई समझौता नहीं होगा। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सुनील का कहना है कि हरेक मौसम की परिस्थिति में प्रैक्टिस जरूरी है।
क्या ले रहे हैं डाइट?
डाइट भी अहम भूमिका निभाती है। इस कारण सुनील डाइट पर भी खासा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। बड़ी बात यह है कि सुनील पूरी तरह शाकाहारी हैं। हर रोज तीन लीटर दूध पीना जरूरी है। 100 ग्राम के आसपास ड्राई फ्रूट्स। दो-तीन लीटर जूस। हल्का खाना। विडंबना है कि सुनील की किट तो प्रायोजित है, लेकिन डाइट का खर्च खुद ही उठाना पड़ रहा है। सुनील का कहना है कि द्रव्य डाइट ही लेने की कोशिश करते हैं।
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