नाहन (एमबीएम न्यूज): गहरे अंधेरे में खुद को 10 दिन तक शेष दुनिया से कट कर जीवित रखना, आसान नहीं है। लेकिन सतीश ने यह कर दिखाया। वीरवार शाम करीब पौने चार बजे जब सतीश अपने बड़े भाई विनोद के साथ नाहन दोसडक़ा पहुंचा तो उसके चेहरे पर अपनी जन्मभूमि की माटी के स्पर्श की खुशी साफ झलक रही थी। सतीश ने माता-पिता को भगवान से बड़ा दर्जा देते हुए कहा कि वह जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहते हैं क्योंकि उसके भगवान इंतजार कर रहे हैं।
रक्षाबंधन के त्यौहार पर बहनों ने सतीश की कलाई पर उसके लंबे जीवन के लिए रक्षासूत्र बांधा था। संभवत: बहनों के रक्षा सूूत्र ने भी सतीश को नया जीवन मिलने में अपनी भूमिका निभाई। सतीश के मुताबिक वह रक्षाबंधन पर घर आया था। उस वक्त क्या पता था कि जीवन में इस तरह का हादसा भी सामने आ जाएगा। अब रक्षाबंधन के बाद सतीश पहली बार घर लौटा है। घर पर बूढ़ी दादी, माता-पिता, भाई के अलावा बहनें वीना व रीना सतीश के घर लौटने का इंतजार कर रही हैं।
बातचीत के दौरान सतीश ने कहा कि वह तो एक सामान्य सा मजदूर है, लेकिन उसने कभी जीवन में नहीं सोचा था कि इस तरह का हादसा होगा। साथ ही मुख्यमंत्री समेत कई बड़े अधिकारी उसके जीवन को बचाने के लिए दिन-रात एक कर देंगे। सतीश ने बिलासपुर की डीसी मानसी सहाय व एसपी बलबीर ठाकुर का विशेष तौर पर आभार प्रकट किया है। घर पहुंचते ही भगवान शिरगुल देवता की पूजा-अर्चना में सतीश को शिरकत करनी है।
सतीश के बड़े भाई विनोद तोमर ने बताया कि राजस्थान से बड़ी मशीनें मंगवा कर सरकार मददगार साबित हुई। तोमर ने कहा कि जीवन में कभी नहीं सोचा था कि हिमाचल की सरकार भी दो जीवन बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक सकती है। उधर दोसडक़ा पहुंचने पर रामसिंह के नेतृत्व में शहीद भगत सिंह सोसायटी में सतीश को फूलों से लाद कर जोरदार इस्तकबाल किया।