नाहन : भाजपा से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरी आजाद उम्मीदवार दयाल प्यारी को पार्टी से निष्कासित करने की तैयारी हो गई है। शाम तक पार्टी का प्रदेश संगठन इस बाबत अधिकारिक तौर पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सकता है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने कहा कि दयाल प्यारी का निलंबन किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बीजेपी से बगावत कर मैदान में उतरी दयाल प्यारी इस समय पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य भी हैं। इसके अलावा जिला परिषद सदस्य हैं। धर्मशाला में हुई बगावत पर सती ने कहा कि फिलहाल उनकी जानकारी में नहीं है कि मैदान में उतरे प्रत्याशी का कोई पद है या नहीं। फिलहाल दयाल प्यारी पर निर्णय हो चुका है। सतपाल सत्ती ने माना कि सीएम के मंच पर दयाल प्यारी के धक्का प्रकरण का ही नतीजा है कि वह मैदान में उतरी है।
सती ने इस बात को भी स्वीकार किया कि उस स्थिति को ठीक से संभाला नहीं गया। बहरहाल इसमें कोई दोराय नहीं है कि भंडारी व दयाल प्यारी के बीच तकरार का ही नतीजा है कि भाजपा को इस समय बगावत का सामना करना पड़ रहा है। धक्का प्रकरण में सांसद सुरेश कश्यप भी भंडारी के साथ खड़े नजर आए थे। यही कारण है कि दयाल प्यारी ने भंडारी पर तानाशाही के आरोप लगाए।
उधर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने यह भी माना कि वह दयाल प्यारी की बातों को सुनने सोलन पहुंचे थे, ताकि संगठन अपने स्तर पर इसका निस्तारण कर सके, लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। रोचक बात यह भी है कि जहां एक तरफ पूरी सरकार दयाल प्यारी के नामांकन को वापस करवाने की जुगत भिड़ा रही थी, वहीं दूसरी तरफ समर्थकों ने दयाल प्यारी को बीजेपी के आंखों के सामने से ही ओझल कर दिया।
सूत्रों का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद दयाल प्यारी नामांकन पत्र वापस लेने को तैयार थी, लेकिन इसके बाद परिस्थितियां तेजी से बदल गई। जानकारों का यह भी कहना है कि सोलन में घटनाक्रम और तीखा हो सकता था अगर मीडिया कर्मी वहां न होते।