शिमला : राजधानी की हेरिटेज इमारत टाउसन हाॅल में नगर निगम शिमला के मेयर व डिप्टी मेयर का ही दफ्तर चलेगा। निगम के कमीशनर सहित अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को टाउन हाॅल में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी। टाउन हाॅल का मालिकाना हक नगर निगम के पास ही रहेगा तथा इस इमारत के बाकी बचे स्थान को लेकर नगर निगम व सरकार मिलकर तय करें। प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वी रामासुब्रम्नयन और जस्टिस अनूप चितकारा ने आज नगर निगम की याचिका की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
करीब 110 साल पुरानी इस धरोहर के मालिकाना हक को लेकर पिछले 9 महीनों से हाईकोर्ट में मामला चल रहा था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि टाउन हॉल में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के के लिए पारंपरिक हस्तकला व दस्तकारी की वस्तुओं को रखा जाए। साथ ही यहां पर हाइ एंड कैफे, जिसमें पढ़ने की सुविधा भी हो, की भी सुविधा विकसित की जाए। कोर्ट का यह भी कहना रहा कि इन गतिविधियों के लिए नगर निगम बकायदा फीस भी रखे, ताकि उसे बेहतर आय भी हो।
सनद रहे कि टाऊन हॉल पिछले कई वर्षों से नगर निगम शिमला के पास ही था। तीन साल पहले इस भवन का जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ और गत वर्ष में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उद्घाटन भी किया। नगर निगम प्रशासन और सभी पार्षद टाऊन हॉल को वापस लेने के पक्ष में हैं।
इस संदर्भ में नगर निगम हाउस में सभी पार्षद एकजुट होकर इसे वापस लेने का प्रस्ताव भी पारित किया था। हाउस में पार्षदों ने कोर्ट के आदेशों पर इसके प्रयोग का पूरा ब्यौरा भी दिया गया। दूसरी तरफ हिमाचल पर्यटन विकास निगम और साहित्य जगत के नुमाइंदेें टाऊन हॉल की मांग की थी।