शिमला : राज्य सरकार करीब 50 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी है। अनुबंध हों या फिर आउटसोर्स कर्मचारी, उनकी मांगों को सरकार यह कहकर नकारती आ रही है कि आर्थिक कंगाली है। साफ लहजे में जयराम सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को भी लागू करने से न कह चुकी है। शुक्रवार को विधानसभा में आउटसोर्स कर्मचारियों को भी झटका दे दिया गया। इसी बीच जयराम सरकार विधायकों व मंत्रियों की मौज करवाने की तैयारी कर रही है।
सरकार न केवल वेतन, भत्तों व पेंशन में बढ़ोतरी करने जा रही है, बल्कि माननीयों के घूमने के लिए भी तिजोरी खोलने की तैयारी कर रही है। इसके मुताबिक विधायकों व पूर्व विधायकों का वार्षिक यात्रा भत्ता बढ़ेगा, यानि अढ़ाई लाख से सीधे चार लाख हो जाएगा। पूर्व विधायकों को दो लाख देने की तैयारी है। विधानसभा की कमेटी ने तीन माह पहले ही प्रस्ताव भेजा था। हाल ही में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी इंवेस्टर मीट को लेकर विदेशों की यात्रा कर लौटे हैं। यह भविष्य के गर्भ में छिपा है कि सीएम के विदेशी दौरों से राज्य को क्या हासिल होगा। अब तक सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि सीएम के विदेश दौरों से प्रदेश के खजाने पर कितना बोझ पड़ा है।
अहम बात यह है कि एक प्रावधान ऐसा भी किया जा रहा है कि माननीयों के टैक्सी बिलों का भुगतान भी होगा। शुक्रवार को सदन में तीन विधेयक रखने की तैयारी पहले ही कर ली गई थी। सरकार इस समय विधायक को 2 लाख 10 हजार के करीब मासिक वेतन देती है। रोचक बात यह है कि सरकार के इस कदम पर विपक्ष भी चुप्पी साध लेगा। कारण यह है कि विपक्ष के नेताओं को भी इसका लाभ मिलेगा। आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि वित्तीय घाटे के चलते सरकार फिर 4500 करोड़ का ऋण ले सकती है।
पिछली वीरभद्र सरकार में जब दो मर्तबा माननीयों के वेतन व अन्य भत्ते बढ़ाए गए थे तो भाजपा भी चुप्पी साधे हुए थी। सवाल इस बात पर भी उठता है कि आखिर क्यों विधायक अपने भत्तों के इजाफे पर खामोश हो जाते हैं।