शिमला (एमबीएम न्यूज): समूचे देश में यह चर्चा चलती रही है कि राजनीतिज्ञों व अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूल में शिक्षा अनिवार्य बनाई जानी चाहिए। लेकिन ऐसा संभव नहीं होता क्योंकि नीतिकार नहीं चाहते कि उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढें। शिक्षा विभाग के मुख्य संसदीय सचिव नीरज भारती ने वीरवार को मानसून सत्र के सदन में अपनी इकलौती बेटी को अगले साल से सरकारी स्कूल में पढ़ाने का सराहनीय ऐलान कर दिया है।
सीपीएस नीरज भारती अपने परिवार सहित।एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सीपीएस नीरज भारती ने कहा कि फिलहाल उन्होंने यह तय नहीं किया है कि बच्ची को कौन से सरकारी स्कूल में पढ़ाया जाए। लेकिन यह तय कर लिया है कि पहली कक्षा से बेटी सरकारी स्कूल में ही पढ़ेगी। सीपीएस ने कहा कि कहीं न कहीं शुरूआत होनी ही थी। हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव नीरज भारती ने पहला चुनाव 2007 में गुलेर विधानसभा से जीता था। इसके बाद डिलिमिटेशन हो गया। उनके निर्वाचन क्षेत्र का नाम बदल कर ज्वाली हुआ।
2012 में भी नीरज भारती ने विधानसभा का चुनाव जीता। सांसद व पूर्व मंत्री चंद्र कुमार के बेटे नीरज भारती ने अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में पढ़ाने का ऐलान कर हिमाचल प्रदेश में एक नई शुरूआत कर दी। सीपीएस की बेटी फिलहाल केजी कक्षा में नामी कान्वेंट स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रही है, जहां से बेटी को सरकारी स्कूल में शिफ्ट किया जाएगा। राज्य के दिग्गज नेताओं के बच्चे तो अपनी-अपनी शिक्षा पूरी कर चुके हैं, लेकिन अगर यह व्यवस्था स्थाई तौर पर लागू कर दी जाए कि राजनीतिज्ञों व अधिकारियों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करेंगे तो निश्चित तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है।