<strongदिनेश कुंडलस/नाहन
यह खबर शहर के हरिपुर मोहल्ला की रहने वाली विधवा मां व इकलौते बेटे से जुड़ी है। ऐसी मां को हर सच्चा देशभक्त सलाम करेगा, जिसने तमाम गुरबतें सहन करते हुए देश सेवा को अपना परम धर्म समझा। करीब छह साल पहले अमुनिशा खान ने अपने पति को खो दिया था। खुद जिंदगी की तमाम मुश्किलें इस कारण भी सहती रही कि आखिर एक दिन उसका बेटा सेना में भर्ती होकर उनकी इच्छा को पूरा कर देगा।
बुधवार को विधवा महिला के जीवन में वो पल आ गए, जिसका वो सपना संजोए बैठी थी। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के फतेहगढ़ में अनीश खान ने बेसिक ट्रेनिंग पूरी करने के बाद देश की रक्षा की बागडोर को संभाल लिया है। पहली नियुक्ति राजपुताना राइफल्स में लखनऊ में हासिल हुई है। कसम परेड में अमुनिशा खान पहुंची थी। अपने इकलौते बेटे को देश सेवा में भेजने से उनके चेहरे पर एक लंबा सुकून तैर रहा था। आप यह जानकर भी दंग रहेंगे कि विधवा महिला बीएससी कर रही बेटी को भी सेना में भेजने की तमन्ना पाले हुए है। बेटी भी मां के इस सपने को साकार करने के लिए तैयार है।
बेटा अनीश भी शॉर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से सैन्य अधिकारी बनने की कोशिश में भी लग चुका है। 2011 में अमुनिशा के पति का लाहौल-स्पीति में नौकरी के दौरान निधन हो गया था। उस वक्त अनीश सातवीं कक्षा में पढ़ रहा था, जबकि छोटी बहन अर्शी खान पांचवी कक्षा में पढ़ रही थी। समस्याओं के अंबार के बीच बच्चों की पढ़ाई के अलावा घर के खर्चे चलाना एक चुनौती थी। बमुश्किल डीसी कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी के तौर पर एक नौकरी हासिल हो गई। चाहती तो बेटे को सरकारी या फिर निजी क्षेत्र की तरफ जाने के लिए प्रेरित कर सकती थी। लेकिन इस मां ने ऐसा नहीं किया, बल्कि बचपन से ही बेटे में देशभक्ति के जज्बे को उकेर कर भारत मां की रक्षा के लिए ही प्रेरित करती रही।
अनीश का चचेरा भाई आमिर खान भी खुशी से फूला नहीं समा रहा, क्योंकि वो भी अनीश को सेना का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया करता था। कुल मिलाकर इस तरह की मिसाल बेहद दुर्लभ होती है जब मां अपने इकलौते बेटे को ही देश की सेवा के लिए समर्पित कर दे।