दिनेश कुंडलस/शिमला
भाजपा सरकार के एक साल पूरा होने के जश्न पर पीएम मोदी से प्रदेश के लोगों को एक बड़ी आस लगी थी। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले प्रदेश के सबसे बड़े जिला में आयोजित इस रैली पर विपक्षियों की भी नज़र थी। प्रदेश भाजपा सरकार ने इसके लिए बड़े ताम-झाम किये थे। प्रदेश के कोने-कोने से इस कड़कती ठंड में लोगों का हुजूम भी उमड़ा। प्रदेश के हर कोने से लोग इस रैली में पहुंचे। मगर चिर-परिचित अंदाज़ में पीएम मोदी ने हिमाचलवासियों को अपने संस्मरणों व हिमाचल में प्रभारी रहते खाने से लेकर भौगोलिक परिस्थितियों के ज़िक्र से बांधने की कोशिश की। हिमाचल प्रदेश को पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में अग्रणी रहने की बात भी उन्होंने कही।
बागवानी, पर्यटन व परिवहन पर भी उन्होंने प्रदेश में अपार संभावनाओ का ज़िक्र भी उन्होंने किया। मगर इन क्षेत्रों में किसी ठोस योजना की घोषणा नहीं की। हालाँकि उन्होंने जयराम सरकार के एक साल के कार्यकाल की तारीफ करते हुए उनकी पीठ भले ही थपथपाई, लेकिन प्रदेश को कोई नया पैकेज देने की घोषणा से बचते रहे। उन्होंने भाजपा की केंद्र सरकार से कांग्रेस सरकार के समय मिलने वाली वित्तीय सहायता की तुलना जरूर की। लोगों को ये बताने का प्रयास किया कि कांग्रेस की तुलना में भाजपा की केंद्र सरकार ने प्रदेश की आर्थिक सहायता को बढ़ाया है। वन रैंक वन पेंशन का ज़िक्र कर उन्होंने प्रदेश के भूतपूर्व सैनिकों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश भी की। यानि विधानसभा चुनाव के समय जो बातें उन्होंने की थी उनका फोकस उन्ही पर ज्यादा रहा।
उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत व अन्य केंद्रीय योजनाओं का गुणगान भी उन्होंने बखूबी किया। हिमाचल प्रदेश के शांत माहौल व लोगों की ईमानदारी की कदर का राग भी उन्होंने पहले की तरह अलापा। पर किसी बड़ी घोषणा से गुरेज़ किया। प्रदेश भाजपा सरकार ने इस आयोजन पर करोड़ो रूपये खर्च किया। लोकसभा चुनाव से पहले शायद यह प्रधानमंत्री का अपने इस कार्यकाल का दौरा होगा। व्यस्तता के चलते अब पीएम मोदी शायद चुनावी आचार संहिता लगने के बाद ही हिमाचल में चुनावी दौरे पर आएंगे।
इससे प्रदेशवासियों व भाजपा सरकार को निराशा ही हाथ लगी है। प्रधानमंत्री ने व्यस्तता के चलते हालांकि कांगड़ी धाम का लुत्फ़ न उठा सकने का मलाल व्यक्त कर लोगों से सहानुभूति पाने की कोशिश भी की। कुल मिला कर प्रधानमंत्री मोदी का दौरा आम आदमी के लिए निराशाजनक ही रहा।
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