नाहन, (रेणु कश्यप): कहने को तो नाहन सिरमौर का डिस्ट्रीक हैडक्वार्टर है, लेकिन फिर नगर परिषद के अधीन आने वाला एक क्षेत्र ऐसा भी हैं, जहां आजादी के 68 साल बाद भी लोग एक पगडंडीनुमा कच्चे रास्ते पर चलते हैं। जी हां आज हम अपने पाठकों का उस क्षेत्र से रूबरू करवाएंगे, जहां नगर परिषद आज तक पक्की रास्ता तक मुहैया नहीं करवा पाई।
कच्चे व बेतरतीब रास्ते से गुजरता एक मोटरसाइकिल सवारकहते हैं कि किसी भी शहर, गांव व क्षेत्र के लिए सडक़ सुविधा बेहद मायने रखती है। अगर वह बेहतर हालत में हो तो लोगों को लाभ पहुंचाती है, लेकिन अगर सडक़ की हालत बद से बदतर हो, तो वही सडक़ संबंधित क्षेत्र के लोगों के लिए नासूर बन जाती है।
हम बात कर रहे हैं, शहर के पैट्रोल पंप के साथ से बिल्लीवाला क्षेत्र गुजरने वाले रास्ते की। एक लंबे अरसे से वोट की राजनीति कर यहां के लोगों को ठगा जा रहा है, लेकिन बेहतर सडक़ सुविधा के नाम पर अब तक चुने गए पार्षद उनकी इस मांग को पूरा करवाने में नाकाम रहे हैं। पैट्रोल पंप के नजदीक से रेन शैल्टर के साथ से होते हुए बिल्लीवाला को जाने वाले मार्ग की हालत बेहद खराब है। यहां के लिए सडक़ के नाम पर कच्चा मार्ग तो बना दिया गया, लेकिन वह भी इस लायक नहीं है कि उस पर दोपहिया वाहन तो दूर पैदल भी आसानी से चला जा सके।
मार्ग के बीचोंबीच उगा घास व झाडिय़ांइस मार्ग की हालत बेहद खस्ताहाल है। मार्ग पूरी तरह से कच्चा पड़ा है। कई जगहों पर पत्थर व गड्ढे ही गड्ढे होने के साथ मार्ग बेतरतीब है। इसके चलते दोपहिया वाहन लाना-ले जाना भी बेहद मुश्किल है। चार पहिया वाहन तो दूर की बात है। यही नहीं रेनशेल्टर के साथ गंदे पानी का भी रिसाव इसी मार्ग पर हो रहा है, जहां पर सुअर इत्यादि ढेरा जमाए बैठे रहते हैं।
अब यहां के लोगों को लगने लगा है कि शायद उनका दर्द समझने वाला कोई नहीं है। तभी तो आज तक सडक़ का पक्का नहीं किया जा सका। उधर नगर परिषद का कहना है कि उक्त रास्ते को पक्का करने के लिए फिलहाल बजट उपलब्ध नहीं है। बजट उपलब्ध होते ही रास्ते को पक्का करवाया जाएगा।
पहले हुआ था बजट उपलब्ध, अब कहां गया?
लोगों की मानें तो कुछ सालों पहले इस मार्ग को पक्का करने के लिए 8 लाख रूपए की राशि स्वीकृत भी की गई थी। बाकायदा उस वक्त टैंडर होने की बात भी सामने आई थी। मगर अब इस सडक़े लिए बजट उपलब्ध न होने की बात कहीं जा रहा है। अब सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर वह राशि कहां गई़? क्या इस राशि को अन्य कार्य में लगा दिया गया?
मार्ग के बीच झाडिय़ां व घास
शायद ही इस क्षेत्र में नगर परिषद का कोई अधिकारी, कर्मचारी या फिर संबंधित वार्ड का पार्षद जाता हो, क्योंकि इस बात का अंदाजा मार्ग के बीचोंबीच उगी झाडिय़ों व घास से ही लगाया जा सकता है। मार्ग के ठीक बीच में कई जगहों पर बड़ा-बड़ा घास उगा है। यदि स्थानीय लोग घास साफ कर दें तो ठीक है, अन्यथा स्थिति रामभरोसे ही है।
बरसात में अधिक होती है दिक्कत
बरसात के मौसम में मार्ग कच्चा होने के कारण अधिक दिक्कत होती है। साथ ही फिसलन इत्यादि भी बढ़ जाती है। इसके चलते लोगों को फिसलकर गिरने का खतरा भी बना रहता है। साथ ही मार्ग कीचड़ में तबदील हो जाता है।
बीमारी के सूरत में अधिक होती है दिक्कत
लोगों की मानें तो बेहतर सडक़ सुविधा उपलब्ध न होने के कारण बीमारी के सूरत में मरीज को ऊपर सडक़ तक लाने में बड़ी मुश्किल होती है। मरीज को उठाकर या फिर बमुश्किल दोपहिया वाहन पर लाना पड़ता है।
चारों तरफ घना जंगल, स्ट्रीट लाइटों का भी उचित प्रबंध नहीं
बिल्लीवाला क्षेत्र के लिए रेनशैल्टर के साथ से ही घना जंगल शुरू हो जाता है। करीब एक डेढ़ महीने पहलें साथ लगते ऊपरी क्षेत्र गोबिंदगढ़ मोहल्ला में तेंदुए ने भी दस्तक देकर इस जंगल में होने का अहसास करवा दिया था। जंगल होने के बावजूद भी उचित मात्रा में नगर परिषद द्वारा यहां स्ट्रीट लाइटें नहीं लगाई गई है। कुछेक लगी है, तो वह नियमित रूप से काम नहीं करती। लिहाजा शाम ढलते ही लोगों की परेशानी ओर अधिक बढ़ जाती है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय लोग विशाल सैनी, विनय, रामेश्वर सहित अन्य लोगों का कहना है कि काफी अरसे से सडक़ का पक्का करने की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। हर बार केवल सडक़ के नाम पर आश्वासन ही मिलते हैं। उन्होंने नगर परिषद से सडक़ को पक्का करने की मांग की है।